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[[चित्र:Jantar Mantar at Jaipur.jpg|right|450px|जन्तर-मन्तर, जयपुर]]
'''जयपुर का जन्तर मन्तर''' [[जय सिंह द्वितीय|सवाई जयसिंह]] द्वारा १७२४ से १७३४ के बीच निर्मित एक [[खगोल शास्त्र|खगोलीय]] [[वेधशाला]] है। यह [[युनेस्को|यूनेस्को]] के '[[विश्व धरोहर स्थलों की सूची|विश्व धरोहर सूची]]' में सम्मिलित है। इस वेधशाला में १४ प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, [[ग्रहण]] की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, [[सौर मण्डल]] के [[ग्रह|ग्रहों]] के [[दिक्पात]] जानने आदि में सहायक हैं। इन यन्त्रों को देखने से पता चलता है कि भारत के लोगों को [[गणित]] एवं [[खगोल शास्त्र|खगोलिकी]] के जटिल संकल्पनाओं (कॉंसेप्ट्स) का इतना गहन ज्ञान था कि वे इन संकल्पनाओं को एक 'शैक्षणिक वेधशाला' का रूप दे सके ताकि कोई भी उन्हें जान सके और उसका आनन्द ले सके।<ref>http://www.india-in-your-home.com/jantar-mantar.html {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160423062140/http://www.india-in-your-home.com/jantar-mantar.html |date=23 अप्रैल 2016 }} Jantar Mantar:A Tribute to Early Math and Science</ref>
[[जयपुर]] में पुराने राजमहल 'चन्द्रमहल' से जुडी एक आश्चर्यजनक मध्यकालीन उपलब्धि है- जंतर मंतर! प्राचीन खगोलीय यंत्रों और जटिल गणितीय संरचनाओं के माध्यम से ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध इस अप्रतिम वेधशाला का निर्माण जयपुर नगर के संस्थापक [[आमेर]] के राजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने 1728 में अपनी निजी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734में पूरा हुआ था। सवाई जयसिंह एक खगोल वैज्ञानिक भी थे, जिनके योगदान और व्यक्तित्व की प्रशंसा [[जवाहरलाल नेहरू|जवाहर लाल नेहरू]] ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक '[[भारत की खोज|डिस्कवरी ऑफ इंडिया]]' ('भारत : एक खोज') में सम्मानपूर्वक की है। सवाई जयसिंह ने इस वेधशाला के निर्माण से पहले विश्व के कई देशों में अपने सांस्कृतिक दूत भेज कर वहां से खगोल-विज्ञान के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियाँ मंगवाईं थीं और उन्हें अपने पोथीखाने (पुस्तकालय) में संरक्षित कर अपने अध्ययन के लिए उनका [[अनुवाद]] भी करवाया था। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने [[भारतीय खगोलिकी|हिन्दू खगोलशास्त्र]] में आधार पर देश भर में पांच वेधशालाओं का निर्माण कराया था। ये वेधशालाएं [[जयपुर]], [[दिल्ली]], [[उज्जैन]], [[वाराणसी|बनारस]] और [[मथुरा]] में बनवाई गई। इन वेधशालाओं के निर्माण में उन्होंने उस समय के प्रख्यात खगोशास्त्रियों की मदद ली थी। सबसे पहले महारजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने [[उज्जैन]] में सम्राट यन्त्र का निर्माण करवाया, उसके बाद दिल्ली स्थित वेधशाला (जंतर-मंतर) और उसके दस वर्षों बाद जयपुर में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था। देश की सभी पांच वेधशालाओं में जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है। इस वेधशाला के निर्माण के लिए 1724 में कार्य प्रारम्भ किया गया और 1734 में यह निर्माण कार्य पूरा हुआ।<ref name="bhaskar.com">{{Cite web |url=http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=16 अप्रैल 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20130420170536/http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-challenge-the-world-4236516-PHO.html?seq=10 |archive-date=20 अप्रैल 2013 |url-status=live }}</ref> यह बाकी के जंतर मंत्रों से आकार में तो विशाल है ही, शिल्प और यंत्रों की दृष्टि से भी इसका कई मुकाबला नहीं है। सवाई जयसिंह निर्मित पांच वेधशालाओं में आज केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही शेष बचे हैं, बाकी काल के गाल में समा गए हैं।
== विश्व धरोहर सूची में शामिल ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20160221120426/http://www.pinkcity.com/hi/places-to-visit/jantar-mantar/ जंतर मंतर-जयपुर की ऐतिहासिक वेधशाला] (पिंकसिटी_डॉट_कॉम)
* [https://web.archive.org/web/20160305120018/http://bharatparytan.blogspot.com/2011/07/blog-post_2965.html जयपुर की वेधशाला-जंतर-मंतर]
* [http://amarujala.com/Vichaar/VichaarDetail.aspx?nid=341 जयपुर का जंतर मंतर]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}
* [http://www.dailynewsnetwork.in/news/02082010/jaipur/15476.html जंतर-मंतर सबकी आंख का तारा]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}
* [https://web.archive.org/web/20161220201045/http://www.math.nus.edu.sg/aslaksen/gem-projects/hm/0203-1-07-jantar_mantar.pdf जन्तर मन्तर] (अंग्रेजी)
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{{जयपुर}}
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