"जल टरबाइन": अवतरणों में अंतर

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ये किसी तुंग (nozzle) में से निकलनेवाले जल की अत्यधिक वेगयुक्त प्रधार (jet) की [[गतिज ऊर्जा]] द्वारा चलते हैं। इस प्रकार के आवेगचक्रों का वहीं उपयोग होता है जहाँ पर पानी की मात्रा तो सीमित होती है लेकिन उसका वर्चस्‌ 300 से 3,000 फुट तक ऊँचा होता है।
 
आधुनिक प्रकार के आवेग चक्र पॉन्सले के अध:प्रवाही चक्र के परिष्कृत रूप हैं। इनमें स्लूस मार्ग (sluice way) के स्थान पर तुड़ों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से पानी की प्रधार (jet) बड़े बेग से निकलकर चक्र की पंखुड़ियों से टकराती है। इस ढंग के जिस संयंत्र का सर्वाधिक प्रचार है वह '''[[पेल्टन चक्र]]''' (Pelton's Wheel)[[https://web.archive.org/web/20130616211937/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d9/Peltonturbine-1.jpg/220px-Peltonturbine-1.jpg]] [[https://web.archive.org/web/20130616211938/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/f/f6/Pelton_wheel_(patent)%28patent%29.png/220px-Pelton_wheel_(patent)%28patent%29.png]] के नाम से प्रसिद्ध है। डोलची को दो जुड़वाँ प्यालों के रूप में इस प्रकार बना दिया गया है कि पानी की प्रधार उसके मध्य में टकराते ही फटकर, दो भागों में विभक्त होकर, एक दूसरी से लगभग 180 डिग्री के कोणांतर पर चलने लगती है। यदि ये दोनों उपप्रधाराएँ अपनी मूल प्रधारा से बिलकुल विपरीत दिशा में बह निकले तो अवश्य ही पेल्टन चक्र की कार्यक्षमता 100 प्रति शत हो जाय, लेकिन इन्हें जान बूझकर तिरछा करके निकाला जाता है, जिससे ये अपने पासवाली डोलची से टकराएँ नहीं। ऐसा करने से अवश्य ही कुछ ऊर्जा घर्षण में बरबाद हो जाती है, जिससे इस चक्र की कार्य-क्षमता लगभग 80 प्रतिशत ही रह जाती है।
 
इन तुंडों में प्रवेश करते समय, बाहर निकलते समय की अपेक्षा, पानी का वेग बहुत अधिक होता है। अत: बाहर की तरफ उनका रास्ता क्रमश: चौड़ा कर दिया जाता है। संयुक्त राज्य, अमरीका में इस टरबाइन का निर्माण 'विक्टर उच्चदाब टरबाइन' नाम से किया जाता है, जिसकी [[दक्षता]] 70 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक, उसके डिजाइन तथा आकार के अनुसार होती है।
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इसमें पानी की गतिज ऊर्जा तथा [[दाब]] दोनों का ही उपयोग होता है। ये वहीं लगाए जाते हैं जहाँ परिस्थितियाँ आवेगचक्र तथा आवेग टरबाइनों के लिए बताई परिस्थितियों से विपरीत होती हैं, अर्थात्‌ जहाँ पानी अल्प वर्चस्‌ युक्त होते हुए भी विपुल मात्रा में प्राप्त हो सकता है। इस पानी का वर्चस्‌ 5 से लेकर 500 फुट तक हो सकता है।
 
प्रतिक्रिया टरबाइन [[https://web.archive.org/web/20130804021124/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/b/b5/Turbines_impulse_v_reaction.png/350px-Turbines_impulse_v_reaction.png]] का सिद्धांत [[भाप टरबाइन]] के लेख में समझाया गया है। आवेगचक्र में तो पानी की गत्यात्मक ऊर्जा ही काम करती है, लेकिन अभिक्रियात्मक चक्र में गयात्मक तथा दाबजनित दोनों ही प्रकार की ऊर्जाएँ सम्मिलित रूप से काम करती हैं। बगीचों में पानी छिड़कने का घूमनेवाला फुहारा देखा होगा। स्काँच मिल और वार्कर मिलें इसी सिद्धांत पर बनाई गई थीं, जो आदिम प्रकार की अभिक्रियात्मक टरबाइनें थी।
 
प्रतिक्रियात्मक टरबाइनें पानी के प्रवाह के दिशानुसार निम्नलिखित चार मुख्य वर्गों में बाँटी जा सकती हैं -
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==== फूर्नेरॉन (Fourneyron) का टरबाइन ====
फूर्नेरॉन नामक एक फ्रांसीसी इंजीनियर ने बार्कर मिल के सिद्धांतानुसार केद्रीय जलमार्ग से बाहर की तरफ त्रैज्य दिशा में बहने के लिए मार्गदर्शक तुंडों को तो स्थिर प्रकार का बनाकर, उनके बाहर की तरफ घूमनेवाला पंखुडीयुक्त चक्र बनाया, [[https://web.archive.org/web/20130803204442/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d4/Berry_Schools'_Old_Mill%27_Old_Mill%2C_Floyd_County%2C_Georgia.jpg/220px-Berry_Schools'_Old_Mill%27_Old_Mill%2C_Floyd_County%2C_Georgia.jpg]] [[https://web.archive.org/web/20130803050047/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/en/thumb/0/0d/Agricola1.jpg/220px-Agricola1.jpg]
 
इसमें प केंद्रीय कक्ष है, जिसमें पानी प्रविष्ट होकर त्रैज्य दिशा में फ चिह्नित तुंड में जाकर चक्र की ब चिह्नित पंखों को घुमाता हुआ बाहर निकल जाता है। इसमें घ केंद्रीय धुरा है, जिससे डायनेमो आदि संबंधित रहता है। यह त्रैज्य बहिर्प्रवाही टरबाइन का नमूना है।[[https://web.archive.org/web/20130803050047/http://upload.wikimedia.org/wikipedia/en/thumb/0/0d/Agricola1.jpg/220px-Agricola1.jpg]]
 
==== फ्रैंसिस का अंत:प्रवाही टरबाइन ====