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'''पोठोहार''' या '''पोठवार''' (<small>{{Nastaliq|ur|پوٹھوہار}} या {{Nastaliq|ur|پوٹھوار}}, Pothohar या Pothwar</small>) पूर्वोत्तरी पाकिस्तान का एक [[पठार]] क्षेत्र है जो उत्तरी [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] और [[आज़ाद कश्मीर]] में विस्तृत है। यह सिंध सागर दोआब में स्थित है, जो पूर्व में [[झेलम नदी]] से पश्चिम में [[सिन्धु नदी]] के बीच का इलाका है। इसे उत्तर में काला चिट्टा और मारगल्ला पर्वत शृंखलाएँ है और दक्षिण में [[नमक कोह]] शृंखला है। नमक कोह का १,५२२ मीटर ऊँचा सकेसर पर्वत (<small>{{Nastaliq|ur|سکیسر}}, Sakesar</small>) इसका सबसे ऊँचा पहाड़ है। यहाँ के लोग [[पंजाबी भाषा]] की पोठवारी और हिन्दको उपभाषाएँ बोलते हैं और कुछ लोग [[पश्तो भाषा|पश्तो]] भी बोलते हैं।
 
पोठोहार बहुत से पंजाबी हिन्दू और सिखों की भी पूर्वजभूमि है, मसलन 'अरोड़ा' का पारिवारिक नाम रखने वाले अक्सर मूल-रूप से पोठोहारी होते हैं। इस क्षेत्र में बहुत से मशहूर हिन्दू धार्मिक स्थल हैं, जिनमें [[शिव]]जी का प्रसिद्ध [[कटासराज मन्दिर|कटासराज मंदिर]] शामिल है। कहा जाता है कि सति कि मृत्यु पर जब शिव रोये तो उनके अश्रुओं का एक ताल [[राजस्थान]] में [[पुष्कर]] में बना और दूसरा पोठोहार में कटासराज में।<ref name="ref50cabav">[http://books.google.com/books?id=IMMzAAAAMAAJ Handbook of the Punjab, western Rajputana, Kashmir, and upper Sindh], Edward Backhouse Eastwick, John Murray (Publisher), 1883, ''... Kataksh is on the N. side of the Salt Range, 16 m. from Pind Dadan, at a height of more than 2,000 ft. above the sea ... Shiva wept so, on the death of his wife Sati, that his tears formed the sacred pool of Pushkara near Ajmir and Kataksh, in the Sindh Sagar Doab ...''</ref> कहा जाता है कि पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान पोठोहार में रहे थे और [[युधिष्ठिर]] ने जिस ताल पर यक्ष प्रश्नों का उत्तर दिया था वह ताल भी इसी क्षेत्र में था।<ref name="trib2012jsd">[http://www.tribuneindia.com/2012/20120219/punjab.htm After 26/11, first Hindu jatha leaves for Pakistan] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120327031013/http://www.tribuneindia.com/2012/20120219/punjab.htm |date=27 मार्च 2012 }}, Neeraj Bagga, The Tribune (India), 18 Feb 2012, ''... Katasraj is believed to be the place where discourse between Yudhishtir and Yaksha took place, as referred to in Mahabharata ...''</ref>
 
== पोठोहार के नज़ारे ==