"प्रफुल्ल चाकी": अवतरणों में अंतर
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== बलिदान ==
दोनों क्रांतिकारियों ने समझ लिया कि वे किंग्सफोर्ड को मारने में सफल हो गए हैं। वे दोनों घटनास्थल से भाग निकले। प्रफुल्ल चाकी ने [[समस्तीपुर]] पहुँच कर कपड़े बदले और टिकिट खरीद कर रेलगाड़ी में बैठ गए। दुर्भाग्य से उसी में पुलिस का सब इंस्पेक्टर नंदलाल बनर्जी बैठा था। उसने प्रफुल्ल चाकी को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से अगली स्टेशन को सूचना दे दी। स्टेशन पर रेलगाड़ी के रुकते ही प्रफुल्ल को पुलिस ने पकड़ना चाहा लेकिन वे बचने के लिए दौड़े। परन्तु जब प्रफुल्ल ने देखा कि वे चारों ओर से घिर गए हैं तो उन्होंने अपनी रिवाल्वर से अपने ऊपर गोली चलाकर अपनी जान दे दी। यह घटना १ मई १९०८ की है। [[बिहार]] के [[मोकामा]] स्टेशन के पास प्रफुल्ल चाकी की मौत के बाद पुलिस उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने चाकी का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटनाओं में शामिल है।<ref>{{cite web
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5056754.html छात्र आंदोलन की उपज थे प्रफुल्ल चाकी]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}
* [https://web.archive.org/web/20160305121917/http://mokameh.blogspot.com/2009/08/blog-post_7006.html प्रफुल्ल चाकी]
* [https://web.archive.org/web/20160305121917/http://mokameh.blogspot.com/2009/08/blog-post_7006.html प्रफुल्ल चंद्र चाकी]
* [https://web.archive.org/web/20061107100034/http://www.panchjanya.com/25-6-2000/9sans.html सुलग उठा बंगाल]
== सन्दर्भ ==
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