"बागेश्वर जिला": अवतरणों में अंतर

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१९वीं सदी के प्रारम्भ में बागेश्वर आठ-दस घरों की एक छोटी सी बस्ती थी। सन् १८६० के आसपास यह स्थान २००-३०० दुकानों एवं घरों वाले एक कस्बे का रूप धारण कर चुका था। मुख्य बस्ती मन्दिर से संलग्न थी। [[सरयू नदी (उत्तराखण्ड)|सरयू नदी]] के पार दुग बाजार और सरकारी डाक बंगले का विवरण मिलता है। एटकिन्सन के हिमालय गजेटियर में वर्ष १८८६ में इस स्थान की स्थायी आबादी ५०० बतायी गई है। वर्ष १९२१ के [[उत्तरायणी मेला, बागेश्वर|उत्तरायणी मेले]] के अवसर पर कुमाऊँ केसरी [[बद्री दत्त पाण्डेय]], हरगोविंद पंत, श्याम लाल साह, विक्टर मोहन जोशी, राम लाल साह, मोहन सिह मेहता, ईश्वरी लाल साह आदि के नेतृत्व में सैकड़ों आन्दोलनकारियों ने [[कुली-बेगार आन्दोलन|कुली बेगार के रजिस्टर बहा कर]] इस कलंकपूर्ण प्रथा को समाप्त करने की कसम इसी सरयू तट पर ली थी।
 
बागेश्वर को १९७४ में अलग तहसील बनाया गया, और १९७६ में इसे परगना घोषित कर दिया गया था। परगना दानपुर के ४७३, खरही के ६६, कमस्यार के १६६, और पुँगराऊ के ८७ गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण शीघ्र ही यह प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन गया। १९८५ से ही इसे जिला घोषित करने की मांग अलग-अलग पार्टियों और क्षेत्रीय लोगों द्वारा उठाई जाने लगी, और फिर, १५ सितंबर १९९७ को [[उत्तर प्रदेश]] की [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची|तत्कालीन मुख्यमंत्री]] [[मायावती]] ने बागेश्वर को उत्तर प्रदेश का नया जिला घोषित कर दिया।<ref>{{cite news|title=बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं, जन्मदिन मुबारक बागेश्वर|url=http://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/happy-future-wishes-happy-birthday-bageshwar|accessdate=27 सितम्बर 2017|date=१४ सितम्बर २०१७|publisher=[[अमर उजाला]]|location=[[बागेश्वर]]|archive-url=https://web.archive.org/web/20170928005623/http://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/happy-future-wishes-happy-birthday-bageshwar|archive-date=28 सितंबर 2017|url-status=live}}</ref>
 
== जनसांख्यिकी ==
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== प्रशासन ==
जिले के प्रशासनिक मुख्यालय [[बागेश्वर]] नगर में हैं। प्रशासनिक कार्यों के लिए जिले को सात तहसीलों में विभाजित किया गया है: बागेश्वर, कपकोट, गरुड़, कांडा, दुगनाकुरी, शामा तथा काफलीगैर। इसके अतिरिक्त जिले को आगे ३ सामुदायिक विकास खण्डों और ३९७ ग्राम पंचायतों में भी बांटा गया है। जिले में कुल ९४७ गांव और २ नगर हैं। बागेश्वर तहसील का गठन १९७४ में हुआ था। १२ सितम्बर १९९७ को बागेश्वर तहसील से २४७ ग्रामों के साथ कपकोट तहसील का गठन किया गया। इसके बाद फरवरी २००४ में बागेश्वर तहसील के १९७ ग्रामों से गरुड़ तहसील, तथा बागेश्वर के १४७, और कपकोट के ३३ ग्रामों से कांडा तहसील का गठन किया गया। शामा तहसील का गठन २३ अक्टूबर २०१३ को,<ref>{{cite news|title=शामा तहसील के नाम पर ‘धोखा’|url=https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/Bageshwar-90009-114|accessdate=१३ फरवरी २०१८|date=२० अक्टूबर २०१४|publisher=[[अमर उजाला]]|location=[[बागेश्वर]]|archive-url=https://web.archive.org/web/20180214202735/https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/Bageshwar-90009-114|archive-date=14 फ़रवरी 2018|url-status=live}}</ref> और दुगनाकुरी<ref>{{cite news|title=मजाक बनकर रह गई है दुग नाकुरी तहसील|url=https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/dug-naakuri-tehsil-has-remained-a-joke|accessdate=१३ फरवरी २०१८|date=९ अगस्त २०१७|publisher=[[अमर उजाला]]|location=[[बागेश्वर]]|archive-url=https://web.archive.org/web/20180214202724/https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/dug-naakuri-tehsil-has-remained-a-joke|archive-date=14 फ़रवरी 2018|url-status=live}}</ref> तथा काफलीगैर तहसीलों का गठन २०१४ में क्रमशः १९ फरवरी तथा ११ नवंबर को हुआ।<ref>{{cite news|title=दुग नाकुरी तहसील अस्पताल में तो पंचायत घर में चल रही शामा उप तहसील|url=https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/shama-taluk-panchayat-office-open-house-hindi-news|accessdate=१३ फरवरी २०१८|date=१३ फरवरी २०१६|publisher=[[अमर उजाला]]|location=[[बागेश्वर]]|archive-url=https://web.archive.org/web/20180322015219/https://www.amarujala.com/uttarakhand/bageshwar/shama-taluk-panchayat-office-open-house-hindi-news|archive-date=22 मार्च 2018|url-status=live}}</ref>
 
सम्पूर्ण जिला [[अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|अल्मोड़ा लोक सभा क्षेत्र]] का हिस्सा है, तथा इसमें दो [[उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची|उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र]] हैं: [[बागेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|बागेश्वर]] तथा [[कपकोट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड|कपकोट]]। राज्य गठन के समय कांडा विधान सभा क्षेत्र भी था, परन्तु २००९ में हुए परिसीमन के बाद उसका विलय कपकोट में ही कर दिया गया।<ref>{{cite news|title=परिसीमन से धूमिल हुई उम्मीदें|url=https://www.jagran.com/uttarakhand/bageshwar-15362004.html|accessdate=१३ फरवरी २०१८|date=१२ जनवरी २०१७|publisher=[[दैनिक जागरण]]|location=[[बागेश्वर]]|archive-url=https://web.archive.org/web/20180214073445/https://www.jagran.com/uttarakhand/bageshwar-15362004.html|archive-date=14 फ़रवरी 2018|url-status=live}}</ref>
 
== नगर ==
बागेश्वर जिले के कस्बे तथा नगर<ref>{{cite book|title=सांख्यिकी पत्रिका २०१७|pages=७१|url=http://bageshwar.nic.in/upload/contents/File-89.pdf|access-date=13 फ़रवरी 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20171114040622/http://bageshwar.nic.in/upload/contents/File-89.pdf|archive-date=14 नवंबर 2017|url-status=live}}</ref> निम्नलिखित हैं।
 
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