"भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची": अवतरणों में अंतर

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| [[जनता पार्टी]]
| [[मेरठ]], [[उत्तर प्रदेश]]
| [[आगरा विश्वविद्यालय]], [[आगरा]] <ref>{{cite web |title=चरण सिंह |url=https://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ |website=pmindia.gov.in |accessdate=22 जनवरी 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20191003022440/https://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ |archive-date=3 अक्तूबर 2019 |url-status=live }}</ref>
| [[बागपत]], [[उत्तर प्रदेश]]
|- bgcolor="#e4e8ff"
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[[चित्र:Jawaharlal Nehru with Lal Bahadur Shastri and K. Kamaraj.jpg|thumb|right|200px|प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू(दाए) और अगले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री(बाएँ), के० कामराज(मध्य) के साथ, १९५५ से पूर्व की तस्वीर]]
[[चित्र:Indira Gandhi 1977.jpg|thumb|right|200px|इंदिरा गांधी, १९७७]]
वर्ष १९४७ से २०१७ तक, प्रधानमन्त्री के इस पद पर कुल १४ पदाधिकारी अपनी सेवा दे चुके हैं। और यदि [[गुलज़ारीलाल नन्दा]] को भी गिनती में शामिल किया जाए, <ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%be/ गुलज़ारीलाल नंद की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191702/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%be/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट )</ref> जो कि दो बार कार्यवाही प्रधानमन्त्री के रूप में अल्पकाल हेतु अपनी सेवा दे चुके हैं, तो यह आंकड़ा १५ तक पहुँचता है। १९४७ के बाद के, कुछ दशकों तक. भारतीय राजनैतिक मानचित्र पर, [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस पार्टी]] का लगभग चुनौती विहीन, निरंतर राज रहा। इस काल के दौरान '''भारत''' ने, कांग्रेस के नेतृत्व में कई मज़बूत सरकारों का राज देखा, जिनका नेतृत्व कई शक्तिशाली व्यक्तित्व के प्रधान-मन्त्री-गणों ने किया। [[भारत]] के पहले प्रधानमन्त्री, [[जवाहरलाल नेहरू]] थे, जिन्होंने १५ अगस्त १९४७ में, भारत के स्वाधीनता समारोह के साथ, अपने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने अविरल १७ वर्षों तक '''भारत''' को अपनी सेवायें दी। वे ३ पूर्ण और एक खण्डित कार्यकाल तक इस पद पर विराजमान रहे। उनका कार्यकाल, मई १९६४ में उनकी मृत्यु के साथ समाप्त हुआ। वे अब तक के, सबसे लंबे समय तक शासन संभालने वाले प्रधानमन्त्री हैं। <ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%82/ जवाहरलाल नेहरू की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191651/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a5%82/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> [[जवाहरलाल नेहरू]] की मृत्यु के बाद, उन्हीके पार्टी के, [[लाल बहादुर शास्त्री]] इस पद पर विद्यमान हुए, जिनके लघुकालिक १९-महीने के कार्यकाल में '''भारत''' ने [[१९६५ का भारत-पाक युद्ध|वर्ष १९६५ का कश्मीर युद्ध]] और उसमे [[पाकिस्तान]] की पराजय देखी। युद्ध के पश्चात्, [[ताशकन्द समझौता|ताशकन्द के शांति-समझौते]] पर हस्ताक्षर करने के बाद, [[ताशकन्द ]] में ही उनकी अकारण व अकस्मात् मृत्यु हो गयी।<ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=DWXwVK7rrNY प्रधानमन्त्री शास्त्री-'''प्रधानमन्त्री''' वीडियो सीरीज], [[यूट्यूब]] (वीडियो)</ref><ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=OUHvi0i4Q0Q प्रधानमन्त्री शास्त्री के मृत्यु के बाद-'''प्रधानमन्त्री'''], [[यूट्यूब|यूट्यूब वीडियो सीरियस]]</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80/ की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191635/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> शास्त्री के बाद, प्रधानमन्त्री पद पर, [[जवाहरलाल नेहरू|ज ला नेहरू]] की पुत्री, [[इंदिरा गांधी]] इस पद पर, देश की पहली महिला प्रधानमन्त्री के तौर पर निर्वाचित हुईं। इंदिरा के पहले दो कार्यकाल ११ वर्षों तक चले, जिसमें उन्होंने, बैंकों का राष्ट्रीयकरण और [[ब्रिटिशकालीन भारतीय रियासतों की सूची|पूर्व राजपरिवारों]] को मिलने वाले [[भारत में राजभत्ता|शाही भत्ते]] और राजकीय उपाधियों की समाप्ती, जैसे कठोर कदम उठाये। साथ ही पाकिस्तान से [[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध|१९७१ का युद्ध]] और [[बांग्लादेश]] की स्थापना, जनमत-संग्रह द्वारा [[सिक्किम]] का [[भारत]] में अभिगमन, [[पोखरण]] में भारत के पहले परमाणु परीक्षण जैसे ऐतिहासिक घटनाएँ भी इंदिरा गांधी के इस शासनकाल में हुआ। परंतु इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद, १९७५ से १९७७ तक का कुख्यात [[आपातकाल (भारत)|आपातकाल]] भी [[इंदिरा गांधी]] ने ही लगवाया था। यह समय सरकार द्वारा, आंतरिक उथल-पुथल और अराजकता को "नियंत्रित" करने हेतु, लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों की समाप्ती और 'राजनैतिक विपक्ष के दमन' के लिए कुख्यात रहा।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ae%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ इंदिरा गांधी की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191654/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%ae%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref><ref>[{{Cite web |url=http://www.pravakta.com/emergency-banaras-hindu-university-and-the-memories-part-1 |title=आपात्काल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और स्मृतियां – भाग-१ |access-date=30 नवंबर 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150627164209/http://www.pravakta.com/emergency-banaras-hindu-university-and-the-memories-part-1 |archive-date=27 जून 2015 |url-status=live }}</ref><ref>[http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/emergency-black-chapter-of-democracy/1161267.html इमरजेंसी: लोकतंत्र का काला अध्याय] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150627202404/http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/emergency-black-chapter-of-democracy/1161267.html |date=27 जून 2015 }} (राजस्थान पत्रिका)</ref><ref>[http://www.pravakta.com/emergency-and-democracy आपातकाल और लोकतंत्र] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150619090456/http://www.pravakta.com/emergency-and-democracy |date=19 जून 2015 }} (प्रवक्ता डॉट कॉम)</ref>
[[चित्र:Morarji Desai 1978.jpg|thumb|left|170px|प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, "दिल्ली धोषणा" के मसौदे पर हस्ताक्षर करते हुए]][[चित्र:Индира Ганди и Секретарь ЦК КПУ В.В.Щербицкий в Киеве в 1982 году.jpg|thumb|left|170px|प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, [[सोवियत संघ]] के कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, शर्बित्स्की के साथ, १९८२]] इस आपातकाल के कारण, इंदिरा के खिलाफ उठी विरोध की लहर के कारण, आपातकाल के समापन के बाद, १९७७ के चुनावों में, विपक्ष के तमाम राजनैतिक दलों ने, संगठित रूप से [[जनता पार्टी]] के छत्र के नीचे, [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के खिलाफ एकजुट होकर लड़ा, और कांग्रेस को बुरी तरह पराजित करने में सफल रही। [[जनता पार्टी]] की गठबंधन के तरफ से [[मोरारजी देसाई]] देश के पहले गैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री बने। प्रधानमन्त्री [[मोरारजी देसाई]] की सरकार अत्यंत विस्तृत एवं कई विपरीत विचारधाराओं की राजनीतिक दलों द्वारा रचित थी, जिनका एकजुट होकर, विभिन्न राजनैतिक निर्णयों पर एकमत ना हो पाने से समन्वय बनाकर रखना बहुत कठिन था। अंततः ढाई वर्षों के शासन के बाद, २८ जुलाई १९७९ को [[मोरारजी देसाई|मोरारजी]] के इस्तीफ़े के साथ ही उनकी सरकार गिर गई। <ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-morarji-desai/ मोरारजी देसाई की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191645/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-morarji-desai/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> तत्पश्चात्, क्षणिक समय के लिए, मोरारजी की सरकार में [[भारत के उप प्रधानमन्त्री|उपप्रधानमन्त्री]] रहे, [[चौधरी चरण सिंह]] ने [[कांग्रेस]] के समर्थन से, बहुमत सिद्ध किया और प्रधानमन्त्री की शपथ ली। उनका कार्यकाल केवल ५ महीनों तक चला (जुलाई १९७९ से जनवरी १९८०)। उन्हें भी घटक दलों के साथ समन्वय बना पाना कठिन रहा, अंततः [[कांग्रेस]] के समर्थन वापस लेने के कारण उनहोंने भी बहुमत खो दिया, और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ चरण सिंह की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191637/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> इन तकरीबन ३ वर्षों की सत्ता से बेदखली के बाद, [[कांग्रेस]] पुनः भरी बहुमत के साथ सत्ता में आई, और [[इंदिरा गांधी]] को अपने दुसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया गया। इस दौरान, उनके द्वारा की गयी सबसे कठोर एवं विवादस्पद कदम था [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]], जिसे [[अमृतसर]] के [[हरिमंदिर साहिब]] में छुपे हुए खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ किया गया था। अंत्यतः,उनका कार्यकाल, ३१ दिसंबर १९८४ की सुबह को उनकी [[इंदिरा गांधी की हत्या|हत्या]] के साथ समाप्त हो गया।
[http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/emergency-black-chapter-of-democracy/1161267.html इमरजेंसी: लोकतंत्र का काला अध्याय] (राजस्थान पत्रिका)</ref><ref>[http://www.pravakta.com/emergency-and-democracy आपातकाल और लोकतंत्र] (प्रवक्ता डॉट कॉम)</ref>
[[चित्र:Morarji Desai 1978.jpg|thumb|left|170px|प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, "दिल्ली धोषणा" के मसौदे पर हस्ताक्षर करते हुए]][[चित्र:Индира Ганди и Секретарь ЦК КПУ В.В.Щербицкий в Киеве в 1982 году.jpg|thumb|left|170px|प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, [[सोवियत संघ]] के कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, शर्बित्स्की के साथ, १९८२]] इस आपातकाल के कारण, इंदिरा के खिलाफ उठी विरोध की लहर के कारण, आपातकाल के समापन के बाद, १९७७ के चुनावों में, विपक्ष के तमाम राजनैतिक दलों ने, संगठित रूप से [[जनता पार्टी]] के छत्र के नीचे, [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के खिलाफ एकजुट होकर लड़ा, और कांग्रेस को बुरी तरह पराजित करने में सफल रही। [[जनता पार्टी]] की गठबंधन के तरफ से [[मोरारजी देसाई]] देश के पहले गैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री बने। प्रधानमन्त्री [[मोरारजी देसाई]] की सरकार अत्यंत विस्तृत एवं कई विपरीत विचारधाराओं की राजनीतिक दलों द्वारा रचित थी, जिनका एकजुट होकर, विभिन्न राजनैतिक निर्णयों पर एकमत ना हो पाने से समन्वय बनाकर रखना बहुत कठिन था। अंततः ढाई वर्षों के शासन के बाद, २८ जुलाई १९७९ को [[मोरारजी देसाई|मोरारजी]] के इस्तीफ़े के साथ ही उनकी सरकार गिर गई। <ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-morarji-desai/ मोरारजी देसाई की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> तत्पश्चात्, क्षणिक समय के लिए, मोरारजी की सरकार में [[भारत के उप प्रधानमन्त्री|उपप्रधानमन्त्री]] रहे, [[चौधरी चरण सिंह]] ने [[कांग्रेस]] के समर्थन से, बहुमत सिद्ध किया और प्रधानमन्त्री की शपथ ली। उनका कार्यकाल केवल ५ महीनों तक चला (जुलाई १९७९ से जनवरी १९८०)। उन्हें भी घटक दलों के साथ समन्वय बना पाना कठिन रहा, अंततः [[कांग्रेस]] के समर्थन वापस लेने के कारण उनहोंने भी बहुमत खो दिया, और उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ चरण सिंह की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> इन तकरीबन ३ वर्षों की सत्ता से बेदखली के बाद, [[कांग्रेस]] पुनः भरी बहुमत के साथ सत्ता में आई, और [[इंदिरा गांधी]] को अपने दुसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया गया। इस दौरान, उनके द्वारा की गयी सबसे कठोर एवं विवादस्पद कदम था [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]], जिसे [[अमृतसर]] के [[हरिमंदिर साहिब]] में छुपे हुए खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ किया गया था। अंत्यतः,उनका कार्यकाल, ३१ दिसंबर १९८४ की सुबह को उनकी [[इंदिरा गांधी की हत्या|हत्या]] के साथ समाप्त हो गया।
 
===१९८०-२०००===
[[चित्र:Rajiv Gandhi (cropped).jpg|thumb|right|200px|प्रधानमंत्री राजीव गांधी, वर्ष १९८९]]
[[चित्र:V. P. Singh (cropped).jpg|thumb|right|200px| प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह]]
इंदिरा के बाद, भारत के प्रधानमन्त्री बने, उनके ज्येष्ठ पुत्र, [[राजीव गांधी]], जिन्हें, ३१ अक्टूबर की शाम को ही कार्यकाल की शपथ दिलाई गयी। उन्होंने पुनः निर्वाचन करवाया और इस बार, [[कांग्रेस]] ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त कर, विजयी हुई। १९८४ के चुनाव में कांग्रेस ने [[लोकसभा]] में ४०१ सांसद संख्या का विशाल बहुमत प्राप्त किया था, जो कि किसी भी दल द्वारा प्राप्त किया गये बहुमत में से विशालतम संख्या है। ४० वर्ष की युवा आयु में प्रधानमन्त्री पद की शपथ लेने वाले [[राजीव गांधी]], इस पद पर विराजमान होने वाले सबसे युवा व्यक्ति हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ राजीव गांधी की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191659/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5-%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a5%80-2/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> [[राजीव गांधी]] की हत्या के बाद, राष्ट्रीय मंच पर उभरे, [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]], जोकि [[राजीव गांधी]] की कैबिनेट में, [[वित्त मंत्रालय (भारत)|वित्तमंत्री]] और [[रक्षा मंत्रालय (भारत)|रक्षामंत्री]] के पद पर थे। अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाने वाले [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] ने अपने वित्तमंत्रीत्व और रक्षामंत्रीत्व के समय, भ्रष्टाचार, कला-बाज़ारी और टैक्स-चोरी जैसी समस्याओं के खिलाफ कई कदम उठाये थे, कहा जाता है कि इसीलिए विश्वनाथ प्रताप सिंह के बढ़ते प्रभाव को खतरा मान [[राजीव गांधी]] ने उन्हें मंत्रिमंडल से १९८७ में निष्कासित कर दिया था। १९८८ में उन्होंने [[जनता दल]] नमक राजनैतिक दल की स्थापना की, और अनेक [[कांग्रेस]]-विरोधी दलों की मदद से [[नेशनल फ्रंट]] नमक गठबंधन का गठन किया। १९८९ के चुनाव में कांग्रेस ६४ सीटों तक सीमित रह गयी, जबकि [[नेशनल फ्रंट]], सबसे बड़ा गठबंधन बन कर उभरा। [[भारतीय जनता पार्टी]] और वामपंथी दलों के बाहरी समर्थन के साथ [[नेशनल फ्रंट]] ने सरकार बनाई, जिसका नेतृत्व [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] को दिया गया। वी.पी. सिंह के कार्यकाल में सामाजिक न्याय की दिशा में कई कदम उठाये गए , जिनमे से एक विवादास्पद निर्णय भी था, वी पी सिंह ने अनारक्षितों के राष्ट्रव्यापी उग्र विरोध को, सामाजिक समानता की तुलना में वरीयता देते हुए, अनदेखा कर, [[मंडल आयोग]] के अन्य पिछड़ी जातियों को भी आरक्षण देने के सुझावों को मानते हुए, अन्य पिछड़े वर्ग में आने वाले लोगो के लिए भी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान पारित कराया। इसके अलावा, उन्होंने, राजीव गांधी के काल में, [[श्रीलंका]] में तमिल आतंकवादियों के खिलाफ जारी भारतीय शांति सेना की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। अमृतसर के [[हरिमंदिर साहिब|हरमिंदर साहिब]] में [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]] हेतु क्षमा-याचना के लिए उनकी यात्रा, और उसके बाद के घटनाक्रमों ने बीते बरसों से [[पंजाब]] में तनाव को लगभग पूरी तरह शांत कर दिया था। परंतु [[अयोध्या]] में "''कारसेवा''" के लिए जा रहे [[लालकृष्ण आडवाणी]] की "रथ यात्रा" को रोक, आडवानी की गिरफ़्तारी के बाद, [[भाजपा]] ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। तब वी.पी.सिंह ने ७ नवंबर १९९० को अपना त्यागपत्र [[राष्ट्रपति]] को सौंप दिया। <ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=NJImiHrENGk बोफोर्स घोटाले की कहानी-'''प्रधानमन्त्री''']</ref><ref>[https://m.youtube.com/watch?list=ELYR5txmTpa_c&v=lGZPyqOenAc मंडल कमीशन और वी पी सिंह का अंत-'''प्रधानमन्त्री''' वीडियो सीरीज], [[यूट्यूब]]</ref><ref name=जागरण>{{वेब सन्दर्भ|title=विश्वनाथ प्रताप सिंह|url=http://politics.jagranjunction.com/2011/08/09/former-prime-minister-vishwa-nath-pratap-singh/|website=http://politics.jagranjunction.com/|publisher=जागरण जंक्शन|accessdate=17 जुलाई 2015|archive-url=https://web.archive.org/web/20150720212729/http://politics.jagranjunction.com/2011/08/09/former-prime-minister-vishwa-nath-pratap-singh/|archive-date=20 जुलाई 2015|url-status=live}}</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/1665-2/ वी पी सिंह की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191640/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/1665-2/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> वी पी सिंह के इस्तीफे के बाद, उनके पुर्व साथी, [[चंद्रशेखर]] ने ६४ सांसदों के साथ [[समाजवादी जनता पार्टी]] गठित की और [[कांग्रेस]] के समर्थन के साथ, लोकसभा में बहुमत सिद्ध किया। परंतु उनका प्रधानमन्त्री काल, अधिक समय तक नहीं चल सका। [[कांग्रेस]] की समर्थन वापसी के कारण, नवंबर १९९१ में चंद्रशेखर का एक वर्ष से भी कम का कार्यकाल समाप्त हुआ, और नए चुनाव घोषित किये गए।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a5%87%e0%a4%96%e0%a4%b0/ प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191643/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%b6%e0%a5%87%e0%a4%96%e0%a4%b0/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref>
 
[[चित्र:Kandula Obul Reddy.jpg||thumb|left|180px|प्रधानमंत्री नरसिंह राव(मध्य में) की तस्वीर]]
[[चित्र:Pamulaparti Venkata Narasimha Rao with Ashes Prasad Mitra Checking NSC Guide Book - Inaugural Function - National Science Centre - New Delhi 1992-01-09 254.tif|thumb|left|180px|राष्ट्रीय विज्ञानं केंद्र में प्रधानमंत्री नरसिंह राव]]
प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर के ६ महीनों के शासनकाल के पश्चात्, [[कांग्रेस]] पुनः सत्ता में आई, इस बार, [[पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव|पमुलापति वेंकट नरसिंह राव]] के नेतृत्व में। नरसिंह राव, [[दक्षिण भारत|दक्षिण भारतीय]] मूल के पहले प्रधानमन्त्री थे। साथ ही वे न केवल नेहरू-गांधी परिवार से बहार के पहले कांग्रेसी प्रधानमन्त्री थे, बल्कि वे [[नेहरू-गांधी परिवार]] के बाहर के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, [[भारतीय अर्थव्यवस्था]] के लिए निर्णायक एवं ऐतिहासिक परिवर्तन का समय था। अपने [[वित्तमंत्री]], [[मनमोहन सिंह]] के ज़रिये, नरसिंह राव ने [[उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण|भारतीय अर्थव्यवस्था की उदारीकरण]] की शुरुआत की, जिसके कारण, [[भारत ]]<nowiki/>की अबतक सुस्त पड़ी, खतरों से जूझती अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया गया। इन उदारीकरण के निर्णयों से [[भारत]] को एक दृढतः नियंत्रित, कृषि-उद्योग मिश्रित अर्थव्यवस्था से एक बाज़ार-निर्धारित अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया गया। इन आर्थिक नीतियों को, आगामी सरकारों ने भी जारी रखा, जिनने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाया।<ref>[http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=48745 देश की आर्थिक आजादी के मसीहा: नरसिंह राव] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161201012523/http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=48745 |date=1 दिसंबर 2016 }}, बिज़नस-स्टॅण्डर्ड</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-p-v-narasimha-rao/ नरसिंह राव की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170512050142/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/shri-p-v-narasimha-rao/ |date=12 मई 2017 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> इन आर्थिक परिवर्तनों के आलावा, नरसिंह राव के कार्यकाल में भारत ने [[अयोध्या]] की [[बाबरी मस्जिद]]-रामजन्मभूमि के विवादित ढांचे का विध्वंस और [[भारतीय जनता पार्टी]] का एक राष्ट्रीय स्तर के दल के रूप में उदय भी देखा। नरसिंह राव जी का कार्यकाल, मई १९९६ को समाप्त हुआ, जिसके बाद, देश ने अगले तीन वर्षों में चार, लघुकालीन प्रधानमन्त्रीयों को देखा: पहले [[अटल बिहारी वाजपेयी]] का १३ दिवसीय शासनकाल, तत्पश्चात्, प्रधानमन्त्री [[एच डी देवगौड़ा]] (1 जून, 1996 से 21 अप्रेल, 1997) और [[इंद्रकुमार गुज़राल]](21 अप्रेल, 1997 से 19 मार्च, 1998), दोनों की एक वर्ष से कम समय का कार्यकाल एवं तत्पश्चात्, पुनः प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की १९ माह की सरकार।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%8f%e0%a4%9a-%e0%a4%a1%e0%a5%80-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%8c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%be/ देवगौड़ा जी की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191656/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%8f%e0%a4%9a-%e0%a4%a1%e0%a5%80-%e0%a4%a6%e0%a5%87%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a5%8c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%be/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref><ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%9c%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b2/ गुजराल जी की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161130191648/http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%9c%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b2/ |date=30 नवंबर 2016 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> १९९८ में निर्वाचित हुए प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] की सरकार ने कुछ अत्यंत ठोस और चुनौती पूर्ण कदम उठाए। मई १९९८ में सरकार के गठन के एक महीने के बाद, सरकार ने [[पोखरण]] में पाँच भूतालिया परमाणु विस्फोट करने की घोषणा की। इन विस्फोटों के विरोध में [[अमरीका]] समेत कई पश्चिमी देशों ने [[भारत]] पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, परंतु [[रूस]], [[फ्रांस]], खाड़ी देशों और कुछ अन्य के समर्थन के कारण, पश्चिमी देशों का यह प्रतिबंध, पूर्णतः विफल रहा।<ref name="britannica.com">{{cite web |url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/621705/Atal-Bihari-Vajpayee |title=भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी |work=एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिक |date=25 दिसंबर 1924 |accessdate=24 नवंबर 2012 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150507144124/http://www.britannica.com/EBchecked/topic/621705/Atal-Bihari-Vajpayee |archive-date=7 मई 2015 |url-status=live }} {{en icon}}</ref><ref>[http://cns.miis.edu/other/indbomb.pdf भारत का परमाणु परिक्षण] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20131015105419/http://cns.miis.edu/other/indbomb.pdf |date=15 अक्तूबर 2013 }} {{en icon}}</ref> इस आर्थिक प्रतिबंध की परिस्थिति को बखूबी संभालने को अटल सरकार की बेहतरीन कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया। भारतीय परमाणु परीक्षण के जवाब में कुछ महीने बाद, [[पाकिस्तान]] ने भी परमाणु परीक्षण किया।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/श्री-अटल-बिहारी-वाजपेयी/ श्री-अटल-बिहारी-वाजपेयी की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190714042520/https://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%9f%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%af%e0%a5%80/ |date=14 जुलाई 2019 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> दोनों देशों के बीच बिगड़ते हालातों को देखते हुए, सरकार ने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश की। फ़रवरी १९९९ में दोनों देशों ने [[लाहौर घोषणा]] पर हस्ताक्षर किये, जिसमें दोनों देशों ने आपसी रंजिश खत्म करने, व्यापार बढ़ने और अपनी परमाणु क्षमता को शांतिपूर्ण कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की घोषणा की।
 
===२०००-वर्त्तमान===
[[ चित्र:Bush Vajpayee Oval Office.jpg|thumb|right|200px|अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ प्रधानमंत्री वाजपेयी ]]
 
१७ अप्रैल १९९९ को [[जयललिता]] की पार्टी आइएदमक ने सरकार से अपना समर्थन है दिया, और नए चुनावों की घोषणा करनी पड़ी।<ref>{{cite news | url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/special_report/1998/india_elections/61761.stm | title = Atal Bihari Vajpayee: India's new prime minister | accessdate = 3 मार्च 1998 | publisher = बीबीसी न्यूज़ | date = 3 March 1998 | archive-url = https://web.archive.org/web/20161205150717/http://news.bbc.co.uk/2/hi/special_report/1998/india_elections/61761.stm | archive-date = 5 दिसंबर 2016 | url-status = live }}</ref><ref>{{cite news | url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/322065.stm | title=South Asia Vajpayee's thirteen months | accessdate=17 अप्रैल 1999 | publisher=बीबीसी न्यूज़ | date=17 April 1999 | archive-url=https://web.archive.org/web/20161130192857/http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/322065.stm | archive-date=30 नवंबर 2016 | url-status=live }}</ref> तथा अटल सरकार को चुनाव तक, सामायिक शासन के स्तर पर घटा दिया गया। इस बीच, [[कारगिल]] में [[पाकिस्तानी]] घुसपैठ की खबर आई, और अटलजी की सरकार ने सैन्य कार्रवाई के आदेश दे दिए। यह कार्रवाई सफल रही और करीब २ महीनों के भीतर, भारतीय सऐना ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ली। १९९९ के चुनाव में [[भाजपा]] के नेतृत्व की [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]] ने बहुमत प्राप्त की, और प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] अपनी कुर्सी पर बरकरार रहे। अटल ने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को बरक़रार रखा और उनके शासनकाल में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास दर प्राप्त किया। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सहूलियतों के विकास के लिए सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए, जिनमें, [[राजमार्ग|राजमार्गों]] और सडकों के विकास के लिए [[राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना]] और [[प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना]] जैसी योजनाएँ शामिल हैं।<ref name="news.in.msn.com">{{cite web |url=http://news.in.msn.com/National/independenceday09/article.aspx?cp-documentid=3131559&page=4 |title=Vajpayee, the right man in the wrong party – ,Vajpayee, the right man in the wrong party – 4 – ,4 – National News – News – MSN India |publisher=MSN |accessdate=24 नवंबर 2012 |archive-url=https://archive.is/20130104050819/http://news.in.msn.com/National/independenceday09/article.aspx?cp-documentid=3131559&page=4 |archive-date=4 जनवरी 2013 |url-status=dead }} {{en icon}}</ref><ref>{{cite news|last=Mahapatra|first=Dhananjay|title=NDA regime constructed 50% of national highways laid in last 30 years: Centre|url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-07-02/india/40328372_1_national-highways-state-highways-total-road-network|accessdate=26 नवम्बर 2013|newspaper=द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया|date=2 जुलाई 2013|archive-url=https://web.archive.org/web/20131202231111/http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-07-02/india/40328372_1_national-highways-state-highways-total-road-network|archive-date=2 दिसंबर 2013|url-status=live}} {{en icon}}</ref> परंतु, उनके शासनकाल के दौरान, वर्ष २००२ में, [[गुजरात]] में [[गोधरा कांड]] के बाद भड़के [[2002 की गुजरात हिंसा|हिन्दू-मुस्लिम दंगों]] ने विशेष कर [[गुजरात]] एवं देश के अन्य कई हिस्सों में, स्वतंत्रता-पश्चात् [[भारत]] के सबसे हिंसक और दर्दनाक सामुदायिक दंगों को भड़का दिया। सरकार पर और गुजरटी के तत्कालीन [[मुख्यमंत्री]] , [[नरेंद्र मोदी]], पर उस समय, दंगो के दौरान रोक-थाम के उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया गया था। प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|वाजपेयी]] का कार्यकाल मई २००४ को समाप्त हुआ। वे देश के पहले ऐसे ग़ैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूर्ण किया था। २००४ के चुनाव में [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]], लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम रहा, और [[कांग्रेस]] सदन में सबसे बड़ी दल बन कर उबरी। वामपंथी पार्टियों और कुछ अन्य दलों के समर्थन के साथ, [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में [[यूपीए]](संयुक्त विकासवादी गठबंधन) की सरकार स्थापित हुई, और [[प्रधानमन्त्री]] बने, [[मनमोहन सिंह]]। वे देश के पहले [[सिख]] प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने, दो पूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर अपनी सेवा दी थी। उनके कार्यकाल में, देश ने [[अटल बिहारी वाजपेयी|प्रधानमन्त्री वाजपेयी]] के समय हासिल की गए आर्थिक गति को बरक़रार रखा।<ref>{{cite web |url=https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/in.html#Econ |title=CIA – वर्ल्ड फॅक्टबूक |publisher=Cia.gov |accessdate=15 फ़रवरी 2011 |archive-url=https://web.archive.org/web/20080611033144/https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/in.html#Econ |archive-date=11 जून 2008 |url-status=live }} {{en icon}}</ref><ref name="astaire">{{cite web|url=http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |title= द इण्डिया रिपोर्ट |publisher=ऍस्टेयर रिपोर्ट |url-status=dead |archiveurl=https://web.archive.org/web/20090114195859/http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |archivedate=14 जनवरी 2009 }} {{en icon}}</ref> इसके अलावा, सरकार ने [[आधार]](विशिष्ट पहचान पत्र), और [[सूचना का अधिकार अधिनियम, २००५|सूचना अधिकार]] जैसी सुविधाएँ पारित की। इसके अलावा, [[मनमोहन सिंह]] के कार्यकाल में अनेक सामरिक और सुरक्षा-संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। २६ नवंबर २००८ को [[मुम्बई]] पर हुए [[२००८ के मुंबई हमले|आतंकवादी हमले]] के बाद, देश में कई सुरक्षा सुधर कार्यान्वित किये गए। उनके पहले कार्यकाल के अंत में अमेरिकाके के साथ, नागरिक परमाणु समझौते के मुद्दे पर, लेफ़्ट फ्रंट के समर्थन वापसी से सरकार लगभग गिरने के कागार पर पहुँच चुकी थी, परंतु सरकार बहुमत सिद्ध करने में सक्षम रही। २००९ के चुनाव में कांग्रेस, और भी मज़बूत जनादेश के साथ, सदन में आई, और प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री के आसान पर विद्यमान रहे।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/डॉ-मनमोहन-सिंह/ डॉ-मनमोहन-सिंह की संक्षिप्त जीवनी] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190714054824/https://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/%e0%a4%a1%e0%a5%89-%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9/ |date=14 जुलाई 2019 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल, अनेक उच्चस्तरीय घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही। साथ ही आर्थिक उदारीकरण के बाद आई प्रशंसनीय आर्थिक गति भी सुस्त पद गयी, और अनेक महत्वपूर्ण परिस्थितियों में ठोस व निर्णायक कदम न उठा पाने के कारण सरकार सरकार की छवि काफी ख़राब हुई थी। प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल, २०१४ में समाप्त हो गया।<ref>{{cite news|title=India's Manmohan Singh to step down as PM|url=http://www.theguardian.com/world/2014/jan/03/india-manmohan-singh-rahul-gandhi-narendra-modi|accessdate=20 April 2015|publisher=द गार्डियन|date=३ जनवरी २०१४|archive-url=https://web.archive.org/web/20150427111604/http://www.theguardian.com/world/2014/jan/03/india-manmohan-singh-rahul-gandhi-narendra-modi|archive-date=27 अप्रैल 2015|url-status=live}} {{en icon}}</ref> २०१४ के चुनाव में [[भारतीय जनता पार्टी]], जिसने भ्रस्टाचार और आर्थिक विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, ने अभूतपूर्व बहुमत प्राप्त किया, और [[नरेंद्र मोदी]] को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। वे पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हैं, जोकि पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर विद्यमान हुए हैं। साथ ही वे पहले ऐसे प्रधानमन्त्री हैं, जोकि आज़ाद भारत में जन्मे हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/अपने-प्रधान-मंत्री-को-जान-2/ प्रधानमन्त्री मोदी के बारे में...] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190810042953/https://www.pmindia.gov.in/hi/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8-2/ |date=10 अगस्त 2019 }}, प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref>
१७ अप्रैल १९९९ को [[जयललिता]] की पार्टी आइएदमक ने सरकार से अपना समर्थन है दिया, और नए चुनावों की घोषणा करनी पड़ी।<ref>{{cite news | url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/special_report/1998/india_elections/61761.stm | title = Atal Bihari Vajpayee: India's new prime minister | accessdate=3 मार्च 1998 | publisher=बीबीसी न्यूज़ | date=3 March 1998}} </ref><ref>{{cite news | url = http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/322065.stm | title = South Asia Vajpayee's thirteen months
| accessdate=17 अप्रैल 1999 | publisher=बीबीसी न्यूज़ | date=17 April 1999}}</ref> तथा अटल सरकार को चुनाव तक, सामायिक शासन के स्तर पर घटा दिया गया। इस बीच, [[कारगिल]] में [[पाकिस्तानी]] घुसपैठ की खबर आई, और अटलजी की सरकार ने सैन्य कार्रवाई के आदेश दे दिए। यह कार्रवाई सफल रही और करीब २ महीनों के भीतर, भारतीय सऐना ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त कर ली। १९९९ के चुनाव में [[भाजपा]] के नेतृत्व की [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]] ने बहुमत प्राप्त की, और प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] अपनी कुर्सी पर बरकरार रहे। अटल ने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को बरक़रार रखा और उनके शासनकाल में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास दर प्राप्त किया। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सहूलियतों के विकास के लिए सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए, जिनमें, [[राजमार्ग|राजमार्गों]] और सडकों के विकास के लिए [[राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना]] और [[प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना]] जैसी योजनाएँ शामिल हैं।<ref name="news.in.msn.com">{{cite web|url=http://news.in.msn.com/National/independenceday09/article.aspx?cp-documentid=3131559&page=4 |title=Vajpayee, the right man in the wrong party – ,Vajpayee, the right man in the wrong party – 4 – ,4 – National News – News – MSN India |publisher=MSN |accessdate=24 नवंबर 2012}} {{en icon}}</ref><ref>{{cite news|last=Mahapatra|first=Dhananjay|title=NDA regime constructed 50% of national highways laid in last 30 years: Centre|url=http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-07-02/india/40328372_1_national-highways-state-highways-total-road-network|accessdate=26 नवम्बर 2013|newspaper=द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया|date=2 जुलाई 2013}} {{en icon}}</ref> परंतु, उनके शासनकाल के दौरान, वर्ष २००२ में, [[गुजरात]] में [[गोधरा कांड]] के बाद भड़के [[2002 की गुजरात हिंसा|हिन्दू-मुस्लिम दंगों]] ने विशेष कर [[गुजरात]] एवं देश के अन्य कई हिस्सों में, स्वतंत्रता-पश्चात् [[भारत]] के सबसे हिंसक और दर्दनाक सामुदायिक दंगों को भड़का दिया। सरकार पर और गुजरटी के तत्कालीन [[मुख्यमंत्री]] , [[नरेंद्र मोदी]], पर उस समय, दंगो के दौरान रोक-थाम के उचित कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया गया था। प्रधानमन्त्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|वाजपेयी]] का कार्यकाल मई २००४ को समाप्त हुआ। वे देश के पहले ऐसे ग़ैर-[[कांग्रेस|कांग्रेसी]] प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने अपना पूरे पाँच वर्षों का कार्यकाल पूर्ण किया था। २००४ के चुनाव में [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]], लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने में अक्षम रहा, और [[कांग्रेस]] सदन में सबसे बड़ी दल बन कर उबरी। वामपंथी पार्टियों और कुछ अन्य दलों के समर्थन के साथ, [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में [[यूपीए]](संयुक्त विकासवादी गठबंधन) की सरकार स्थापित हुई, और [[प्रधानमन्त्री]] बने, [[मनमोहन सिंह]]। वे देश के पहले [[सिख]] प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने, दो पूर्ण कार्यकालों तक इस पद पर अपनी सेवा दी थी। उनके कार्यकाल में, देश ने [[अटल बिहारी वाजपेयी|प्रधानमन्त्री वाजपेयी]] के समय हासिल की गए आर्थिक गति को बरक़रार रखा।<ref>{{cite web|url=https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/geos/in.html#Econ |title=CIA – वर्ल्ड फॅक्टबूक|publisher=Cia.gov |accessdate=15 फ़रवरी 2011}} {{en icon}}</ref><ref name="astaire">{{cite web|url=http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |title= द इण्डिया रिपोर्ट |publisher=ऍस्टेयर रिपोर्ट |url-status=dead |archiveurl=https://web.archive.org/web/20090114195859/http://www.ukibc.com/ukindia2/files/India60.pdf |archivedate=14 जनवरी 2009 }} {{en icon}}</ref> इसके अलावा, सरकार ने [[आधार]](विशिष्ट पहचान पत्र), और [[सूचना का अधिकार अधिनियम, २००५|सूचना अधिकार]] जैसी सुविधाएँ पारित की। इसके अलावा, [[मनमोहन सिंह]] के कार्यकाल में अनेक सामरिक और सुरक्षा-संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा। २६ नवंबर २००८ को [[मुम्बई]] पर हुए [[२००८ के मुंबई हमले|आतंकवादी हमले]] के बाद, देश में कई सुरक्षा सुधर कार्यान्वित किये गए। उनके पहले कार्यकाल के अंत में अमेरिकाके के साथ, नागरिक परमाणु समझौते के मुद्दे पर, लेफ़्ट फ्रंट के समर्थन वापसी से सरकार लगभग गिरने के कागार पर पहुँच चुकी थी, परंतु सरकार बहुमत सिद्ध करने में सक्षम रही। २००९ के चुनाव में कांग्रेस, और भी मज़बूत जनादेश के साथ, सदन में आई, और प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री के आसान पर विद्यमान रहे।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/former_pm/डॉ-मनमोहन-सिंह/ डॉ-मनमोहन-सिंह की संक्षिप्त जीवनी], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref> प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल, अनेक उच्चस्तरीय घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही। साथ ही आर्थिक उदारीकरण के बाद आई प्रशंसनीय आर्थिक गति भी सुस्त पद गयी, और अनेक महत्वपूर्ण परिस्थितियों में ठोस व निर्णायक कदम न उठा पाने के कारण सरकार सरकार की छवि काफी ख़राब हुई थी। प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल, २०१४ में समाप्त हो गया।<ref>{{cite news|title=India's Manmohan Singh to step down as PM|url=http://www.theguardian.com/world/2014/jan/03/india-manmohan-singh-rahul-gandhi-narendra-modi|accessdate=20 April 2015|publisher=द गार्डियन|date=३ जनवरी २०१४}} {{en icon}}</ref> २०१४ के चुनाव में [[भारतीय जनता पार्टी]], जिसने भ्रस्टाचार और आर्थिक विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, ने अभूतपूर्व बहुमत प्राप्त किया, और [[नरेंद्र मोदी]] को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। वे पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हैं, जोकि पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर विद्यमान हुए हैं। साथ ही वे पहले ऐसे प्रधानमन्त्री हैं, जोकि आज़ाद भारत में जन्मे हैं।<ref>[http://www.pmindia.gov.in/hi/अपने-प्रधान-मंत्री-को-जान-2/ प्रधानमन्त्री मोदी के बारे में...], प्रधानमन्त्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट</ref>
 
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20140721041836/http://www.pmindia.gov.in/ भारत के प्रधानमंत्री (आधिकारिक वेबसाइट)]
*[httphttps://web.archive.org/web/20190323161117/https://www.pmindia.gov.in/hi/पूर्व%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b5-प्रधान%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8-मंत्री%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80/ प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट-पूर्व प्रधानमंत्रीगण के बारे में]
*[https://m.youtube.com/show/pradhanmantri "'''प्रधानमंत्री'''"- भारतीय प्रधानमंत्रीपद के इतिहास पर विशेष वीडियो सिरीज़], [[यूट्यूब]](हिंदी वीडियो सिरीज़)