"भारतीय विदेश सेवा": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
13 सितम्बर 1783 को ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल ने कलकत्ता (अब कोलकाता) के फोर्ट विलियम में एक ऐसा विभाग बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जो [[वारेन हेस्टिंग्स]] प्रशासन पर इसके द्वारा "गोपनीय एवं राजनीतिक कारोबार" के संचालन में "दबाव को कम करने" में मदद कर सके। हालांकि इसकी स्थापना कंपनी द्वारा की गयी थी, फिर भी '''भारतीय विदेश विभाग''' ने विदेशी [[यूरोप|यूरोपीय]] शक्तियों के साथ कारोबार किया। शुरुआत से ही विदेश विभाग के ''विदेशी'' और ''राजनीतिक'' कार्यों के बीच एक अंतर बनाए रखा किया गया था; सभी "एशियाई शक्तियों" (स्वदेशी शाही रियासतों सहित) को ''राजनीतिक'' के रूप में माना गया था जबकि यूरोपीय शक्तियों के साथ संबंधों को ''विदेशी'' के रूप में समझा गया था।<ref>[{{Cite web |url=http://meaindia.nic.in/onmouse/ifs.htm |title=इंडियन फॉरेन सर्विस: ए बैकग्राउंडर] |access-date=3 मार्च 2011 |archive-url=https://web.archive.org/web/20090619063509/http://meaindia.nic.in/onmouse/ifs.htm |archive-date=19 जून 2009 |url-status=dead }}</ref>
 
1843 में [[भारत के महाराज्यपाल|भारत के गवर्नर-जनरल]] एडवर्ड लॉ, एलेनबोरो के पहले अर्ल ने सरकार के सचिवालय को चार विभागों - विदेश, गृह, वित्त और सैन्य विभाग में व्यवस्थित कर प्रशासनिक सुधारों को अंजाम दिया। इनमें से प्रत्येक की अध्यक्षता एक सचिव-स्तर के अधिकारी द्वारा की गयी थी। विदेश विभाग के सचिव को "सरकार के बाह्य और आंतरिक राजनयिक संबंधों से संबंधित सभी तरह के पत्राचार के संचालन" का कार्यभार सौंपा गया था।
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संपूर्ण चयन प्रक्रिया लगभग 12 महीनों तक चलती है। लगभग 400,000 प्रतिभागियों में से प्रति वर्ष लगभग 800 से 900 उम्मीदवारों का चयन अंतिम रूप से किया जाता है, लेकिन केवल एक अच्छी रैंक ही आईएफएस में चयन की गारंटी देती है - जिसकी स्वीकृति दर 0.01 फीसदी है।
 
हाल के वर्षों में भारतीय विदेश सेवा में प्रति वर्ष औसतन लगभग 20 व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। सेवा की वर्तमान कैडर संख्या लगभग 600 अधिकारियों की है जिसमें लगभग 162 अधिकारी विदेशों में भारतीय मिशन एवं पदों पर और देश में विदेशी मामलों के मंत्रालय में विभिन्न पदों पर आसीन हैं। ''टाइम्स ऑफ इंडिया'' ने भारतीय राजनयिकों की संख्या में कमी की जानकारी दी थी।<ref>[{{Cite web |url=http://timesofindia.indiatimes.com/Crisis_point_Not_enough_diplomats_in_India/articleshow/1977065.cms |title=क्राइसिस पॉइंट: नॉट इनफ डिप्लोमेट्स इन इंडिया] |access-date=3 मार्च 2011 |archive-url=https://web.archive.org/web/20090212100428/http://timesofindia.indiatimes.com/Crisis_point_Not_enough_diplomats_in_India/articleshow/1977065.cms |archive-date=12 फ़रवरी 2009 |url-status=live }}</ref>
 
== प्रशिक्षण ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [httphttps://wwwweb.archive.org/web/20101120094139/http://afsa.org/fsj/oct02/rana.pdf इनसाइड इंडियन फॉरेन सर्विस]
* [https://web.archive.org/web/20090921062200/http://fsi.mea.gov.in/ ऑफिशियल वेबसाइट ऑफ फॉरेन सर्विस इंस्टिट्यूट इंडिया]
* [https://web.archive.org/web/20140705112502/http://www.mea.gov.in/ ऑफिशियल वेबसाइट ऑफ मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ऑफ इंडिया]
* [https://web.archive.org/web/20090410155610/http://meaindia.nic.in/celdemo/rule1.pdf इंडियन फॉरेन सर्विस (भारतीय विदेश सेवा (रिक्रूटमेंट, कैड्रि, सेनियोरिट्री एंड पोमोशन), रूल्स, 1961]
 
{{भारत के वैदेशिक सम्बन्ध}}