"मिस्र के पिरामिड": अवतरणों में अंतर

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यह पिरामिड ४५० फुट ऊंचा है। ४३ सदियों तक यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना रहा। [[१९वीं सदी]] में ही इसकी ऊंचाई का कीर्तिमान टूटा। इसका आधार १३ एकड़ में फैला है जो करीब १६ फुटबॉल मैदानों जितना है। यह २५ लाख चूनापत्थरों के खंडों से निर्मित है जिनमें से हर एक का वजन २ से ३० टनों के बीच है। ग्रेट पिरामिड को इतनी परिशुद्धता से बनाया गया है कि वर्तमान तकनीक ऐसी कृति को दोहरा नहीं सकती। कुछ साल पहले तक ([[लेसर किरण|लेसर किरणों]] से माप-जोख का उपकरण ईजाद होने तक) वैज्ञानिक इसकी सूक्ष्म सममिति (सिमट्रीज) का पता नहीं लगा पाये थे, प्रतिरूप बनाने की तो बात ही दूर! प्रमाण बताते हैं कि इसका निर्माण करीब २५६० वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था। इसे बनाने में करीब २३ साल लगे।
 
म्रिस के इस महान पिरामिड को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं कि बिना मशीनों के, बिना आधुनिक औजारों के मिस्रवासियों ने कैसे विशाल पाषाणखंडों को ४५० फीट ऊंचे पहुंचाया और इस बृहत परियोजना को महज २३ वर्षों में पूरा किया? पिरामिड मर्मज्ञ इवान हैडिंगटन ने गणना कर हिसाब लगाया कि यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए दर्जनों श्रमिकों को साल के ३६५ दिनों में हर दिन १० घंटे के काम के दौरान हर दूसरे मिनट में एक प्रस्तर खंड को रखना होगा। क्या ऐसा संभव था? विशाल श्रमशक्ति के अलावा क्या प्राचीन मिस्रवासियों को सूक्ष्म गणितीय और खगोलीय ज्ञान रहा होगा? विशेषज्ञों के मुताबिक पिरामिड के बाहर पाषाण खंडों को इतनी कुशलता से तराशा और फिट किया गया है कि जोड़ों में एक ब्लेड भी नहीं घुसायी जा सकती। मिस्र के पिरामिडों के निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाये गये हैं, जैसे कि तीनों पिरामिड आ॓रियन राशि के तीन तारों की सीध में हैं। वर्षों से वैज्ञानिक इन पिरामिडों का रहस्य जानने के प्रयत्नों में लगे हैं किंतु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/news/020915_ru_robot.shtml|title=पिरामिड का राज़ अभी राज़ रहेगा |access-date=[[६ अगस्त]] [[२००९]]|format=एसएचटीएमएल|publisher=बीबीसी|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20110308045930/http://www.bbc.co.uk/hindi/news/020915_ru_robot.shtml|archive-date=8 मार्च 2011|url-status=live}}</ref>
 
== रोचक तथ्य ==
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* मिस्रवासी पिरामिड का इस्तेमाल वेधशाला, कैलेंडर, सनडायल और [[सूर्य]] की परिक्रमा में पृथ्वी की गति तथा [[प्रकाश]] के वेग को जानने के लिए करते थे।
* पिरामिड को [[गणित]] की जन्मकुंडली भी कहा जाता है जिससे भविष्य की गणना की जा सकती है।
* कुछ लोग पिरामिडों में स्थित जादुई असर की बात भी करते हैं जो मानव स्वास्थ्य पर शुभ प्रभाव डालता है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webduniya.com/miscellaneous/health/chiktsa/0812/17/1081217030_1.htm|title=पिरामिड का जादुई प्रभाव|access-date=[[६ अगस्त]] [[२००९]]|format=एचटीएम|publisher=वेबदुनिया|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20110625150628/http://hindi.webduniya.com/miscellaneous/health/chiktsa/0812/17/1081217030_1.htm|archive-date=25 जून 2011|url-status=live}}</ref>
|title=पिरामिड का जादुई प्रभाव |access-date=[[६ अगस्त]] [[२००९]]|format=एचटीएम|publisher=वेबदुनिया|language=}}</ref>
 
== गिज़ा के महान पिरामिड ==
गिज़ा का सबसे बड़ा पिरामिड 146 मीटर उँचा था। ऊपर का 10 मीटर अब गिर चुका है। उसका आधार क़रीब 54 या 55 हज़ार मीटर का है। अनुमान है कि 3200 ईसा पूर्व उसे बनाया गया था। यह इसके बावजूद है कि उस समय की मिस्रियों की टेक्नोलॉजी शून्य के समान थी।<ref>{{Cite web |url=http://qna.navbharattimes.indiatimes.com/Politics-and-History/Others/गिज़ा%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE-का%E0%A4%95%E0%A4%BE-सबसे%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87-बड़ा%E0%A4%AC%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE-पिरामिड%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A1-146-मीटर%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-उँचा%E0%A4%89%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%BE-था%E0%A4%A5%E0%A4%BE-%28-उपर%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B0-का%E0%A4%95%E0%A4%BE-10-मीटर%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-गिर%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0-चुका%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%BE-है%E0%A4%B9%E0%A5%88-%29-ओर%E0%A4%93%E0%A4%B0-उसका%E0%A4%89%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%BE-आधार%E0%A4%86%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0-करीब%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AC-54या54%E0%A4%AF%E0%A4%BE-55-हज़ार%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B0-मीटर%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-का%E0%A4%95%E0%A4%BE-है%E0%A4%B9%E0%A5%88-ओर%E0%A4%93%E0%A4%B0-वो%E0%A4%B5%E0%A5%8B-अनुमानित%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A4-535967.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=15 जून 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160313215757/http://qna.navbharattimes.indiatimes.com/Politics-and-History/Others/%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%AC%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A1-146-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%89%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%BE-%E0%A4%A5%E0%A4%BE-(-%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-10-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0-%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-)-%E0%A4%93%E0%A4%B0-%E0%A4%89%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AC-54%E0%A4%AF%E0%A4%BE-55-%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%93%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A5%8B-%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A4-535967.html |archive-date=13 मार्च 2016 |url-status=live }}</ref>
 
कुछ लोग पिरामिडों में स्थित जादुई असर की बात भी करते हैं जो मानव स्वास्थ्य पर शुभ प्रभाव डालता है। और जानने की बात यह भी है कि गीजा के तीनों पैरामिडो कि उपर के केंद्र बिन्दू ऊपर के तारो से मिलते है। और मिस्त्र मेजहाँ पिरामिड बने है। वो ही धरती का मध्य केंद्र है।