"लालमणि मिश्र": अवतरणों में अंतर

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== संगीत लेखन ==
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ मिश्र ने पटियाला के उस्ताद अब्दुल अज़ीज़ खाँ को सुन गुप्त रूप से विचित्र वीणा हेतु वादन तकनीक विकसित करने के साथ साथ भारतीय संगीत वाद्यों के इतिहास तथा विकासक्रम पर अनुसन्धान किया। भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली ने इसे पुस्तक रूप में सन 1973 में (द्वितीय संस्करण 2002, तृतीय 2005) भारतीय संगीत वाद्य शीर्षक से प्रकाशित किया। डॉ मिश्र ने इस पुस्तक में भारतीय संगीत वाद्यों के [https://web.archive.org/web/20190304033430/http://omenad.net/ उद्भव] को तर्कपूर्ण आधार से बताते हुए उन से जुड़े अनेक भ्रमों का निवारण किया। आज तक यह पुस्तक वाद्यों की पहचान, वर्गीकरण तथा उनके अंतर्सम्बन्ध को समझने का प्रमुख स्रोत है।
इसके अलावा भी उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं। चार युग्म ग्रंथों में से एक, '''तंत्री नाद''' सन 1979 में प्रकाशित हुआ; दूसरा '''ततनिनाद''' शीघ्र प्रकाश्य है। 1979 में उनके देहावसान उपराँत उनके पुत्र डॉ गोपाल शँकर मिश्र ने पिता की हस्त-लिखित पांडुलिपियों पर कार्य आरम्भ किया किंतु पिता की स्मृति में मधुकली भोपाल द्वारा आयोजित कार्यक्रम की पूर्व सन्ध्या पर 13 अगस्त 1999 को हृदय गति रुक जाने से उनका भी निधन हो गया। उनकी पुत्री डॉ रागिनी त्रिवेदी ने पिता द्वारा लिखे लेखों का सँपादन किया '''संगीत और समाज''', जो भोपाल के मधुकली प्रकाशन द्वारा सन 2000 में प्रकाशित हुई। बाल एवँ किशोरों हेतु लिखी गयी अनेक पुस्तकें जैसे संगीत सरिता, तबला विज्ञान आदि डॉ मिश्र के जीवनकाल में ही प्रकाशित हो चुकीं थीं। अप्रकाशित पांडुलिपियों पर अब उनकी पुत्री कार्य कर रही हैं।
== अनुसन्धान एवं आविष्कर्ता ==
वैदिक संगीत पर शोध करते हुए उन्होंने सामिक स्वर व्यवस्था का रहस्य सुलझाया। सामवेद के इन प्राप्त स्वरों को संरक्षित करने के लिए उन्होंने राग सामेश्वरी का निर्माण किया। भरत मुनि द्वारा विधान की गयी बाईस श्रुतिओं को मानव इतिहास में पहली बार डॉ मिश्र द्वारा निर्मित वाद्य यंत्र श्रुति-वीणा पर एक साथ सुनना सम्भव हुआ। इसके निर्माण तथा उपयोग की विधि [httphttps://wwwweb.archive.org/web/20071107074854/http://omenad.net/articles/shrutiveena.htm “श्रुति वीणा”] में दी गयी है जिसे नरेन्द्र प्रिंटिंग वर्क, वाराणासी द्वारा 11 फ़रवरी 1964 को प्रकाशित किया गया।
सामेश्वरी के अतिरिक्त उन्होंने कई रागोँ की रचना की जैसे श्याम बिहाग, जोग तोड़ी, मधुकली, मधु-भैरव, बालेश्वरी आदि। डॉ मिश्र ने पूर्ण रूप से तंत्री वाद्यों के लिए निहित वादन शैली की रचना की जिसे मिश्रबानी के नाम से जाना जाता है। इस हेतु उन्होंने सैकड़ों रागों में हज़ारों बन्दिशों की रचना की जिनका सँकलन उनकी पुस्तकों के अतिरिक्त उनके शिष्यों की पुस्तकों, संगीत पत्रिकाओं में मिलता है।
सन 1996 में युनेस्को द्वारा ''[https://web.archive.org/web/20161021234027/http://portal.unesco.org/culture/en/ev.php-URL_ID=20829&URL_DO=DO_TOPIC&URL_SECTION=201%3D20829%26URL_DO%3DDO_TOPIC%26URL_SECTION%3D201.html म्यूज़िक ऑव लालमणि मिश्र]'' के शीर्षक से उनके विचित्र वीणा वादन का कॉम्पैक्ट डिस्क जारी किया गया।
== स्रोत और लिंक ==
# '''संगीतेन्दु पण्डित लालमणि जी मिश्र: एक प्रतिभवान संगीतज्ञ''', [https://web.archive.org/web/20071015132706/http://janhaag.com/MUtewari.html ल़क्ष्मी गणेश तिवारी]. स्वर-साधना, केलिफोर्निया, 1996.
# '''श्रुति और स्मृति:महान संगीतज्ञ पण्डित लालमणि मिश्र''', [https://web.archive.org/web/20070928192146/http://opchourasiya.com/ ओमप्रकाश चौरसिया], सं०. मधुकली प्रकाशन भोपाल अगस्त 1999.
# विचित्र वीणा पर सिन्दूरा, एक लघु छाया-चित्र [https://web.archive.org/web/20190304033430/http://omenad.net/ Online Music Education]
# '''Chordophones in Abhinavabhāratī''' [https://web.archive.org/web/20050217201630/http://www.svabhinava.org/abhinava/Indrani/Chordophones.htm शोध पत्र -- इन्द्राणी चक्रवर्ती]
# ''Celestial Music of Pandit Lalmani Misra''. डी०वी०डी०. स्वर-साधना, केलिफोर्निया,2007.
# '''राग-रूपान्जलि'''. रत्ना प्रकाशन: वराणासी. 2007. [https://web.archive.org/web/20070928022543/http://www.omenad.net/articles/bjack_ragrup.htm संगीतेन्दु पण्डित लालमणि मिश्र की बन्दिशों का संकलन -- डॉ पुष्पा बसु.]
# [https://web.archive.org/web/20070928021209/http://www.omenad.net/refer/tracks.htm संगीत श्रवण हेतु लिन्क]
 
[[श्रेणी:हिन्दुस्तानी संगीत]]