"लीला सेठ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो →बाहरी कड़ियाँ: श्रेणी हटाई गयी |
Rescuing 5 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
||
पंक्ति 1:
[[File:Leila Seth.jpg|thumb|लीला सेठ]]
'''लीला सेठ''' (20 अक्टूबर 1930 – 5 मई 2017<ref>{{cite web |title=विक्रम सेठ की मां पूर्व न्यायाधीश लीला सेठ का निधन |url=
== प्रारंभिक जीवन ==
न्यायमूर्ति लीला का जन्म [[लखनऊ]] में अक्टूबर 1930 में हुआ। बचपन में पिता की मृत्यु के बाद बेघर होकर विधवा माँ के सहारे पली-बढ़ी और मुश्किलों का सामना करती हुई उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जैसे पद तक पहुचने का सफ़र एक महिला के लिये कितना संघर्ष-मय हो सकता है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। भारत की पहली महिला मुख्य [[न्यायाधीश]] रही लीला ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त [[लेखक]] [[विक्रम सेठ]] की माँ हैं। [[लन्दन]] में [[कानून]] की परीक्षा 1958 में टॉप रहने, भारत के 15 वे विधि आयोग की सदस्य बनने और कुछ चर्चित न्यायिक मामलो में विशेष योगदान के कारण लीला सेठ का नाम विख्यात है।
न्यायमूर्ति लीला की शादी पारिवारिक माध्यम से बाटा - कंपनी में सर्विस करने वाले प्रेमी के साथ हुई। उस समय लीला [[स्नातक]] भी नहीं थी, बाद में प्रेमो को [[इंग्लैंड]] में नौकरी के लिये जाना पड़ा तो वह साथ गई और वही से [[स्नातक]] किया यहाँ उनके लिये नियमित कोलेज जाना संभव नहीं था सोचा कोई ऐसा कौर्स हो जिसमे हाजरी और रोज जाना जरुरी न हो इसलिये उन्होने कानून की पढ़ाई करने का मन बनाया, जहां वे बार की परीक्षा में अवल रही।<ref>{{cite web|title=Leila Seth|url=http://www.penguinbooksindia.com/en/content/leila-seth|accessdate=1 दिसम्बर 2013|publisher=penguin india|archive-url=https://web.archive.org/web/20131203002220/http://www.penguinbooksindia.com/en/content/leila-seth|archive-date=3 दिसंबर 2013|url-status=live}}</ref>
== करियर ==
कुछ समय बाद पति को [[भारत]] लौटना पड़ा तो लीला ने यहाँ आ कर वकालत करने की ठानी, यह वह समय था जब नौकरियों में बहुत कम महिलाएँ होती थी। [[कोलकाता]] में उन्होने वकालत की शुरुआत की लेकिन बाद में [[पटना]] में आ कर उन्होने वकालत शरू किया। 1959 में उन्होने बार में दाखिला लिया और [[पटना]] के बाद [[दिल्ली]] में वकालत की। उन्होने वकालत के दौरान बड़ी तादात में इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्सिस ड्यूटी और कस्टम संबंधी मामलो के अलावा सिविल कंपनी और वैवाहिक मुकदमे भी किये। 1978 में वे [[दिल्ली उच्च न्यायालय]] की पहली महिला [[न्यायाधीश]] बनी और बाद में 1991 में [[हिमाचल प्रदेश]] की पहली महिला मुख्य [[न्यायाधीश]] नियुक्त की गई। महिलाओं के साथ भेद-भाव के मामले, संयुक्त परिवार में लड़की को पिता की सम्पति का बराबर की हिस्सेदारी बनाने और पुलिस हिरासत में हुई राजन पिलाई की मौत की जांच जैसे मामलो में उनकी महतवपूर्ण भूमिका रही है।
1995 में उन्होने पुलिस हिरासत में हुई राजन पिलाई की मौत की जांच के लिये बनाई एक सदस्यीय आयोग की ज़िम्मेदारी संभाली। 1998 से 2000 तक वे भारतीय [[विधि आयोग]] की सदस्य रही और हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन कराया जिसके तहत संयुक्त परिवार में बेटियों को बराबर का अधिकार प्रदान किया गया। महत्वपूर्ण न्यायिक दायित्व के साथ साथ उन्होने घर परिवार की महत्वपूर्ण जिमेदारी भी सफलतापूर्वक निभाई। 1992 में वे [[हिमाचल प्रदेश]] की मुख्य [[न्यायाधीश]] के पद से सेवानिवृत हुई। करियर वुमन के रूप में लीला सेठ ने पुरुष प्रधान माने जाने वाली न्यायप्रणाली में अपनी एक अलग पहचान बनाई और कई पुरानी मान्यताओं को तोड़ा। साथ ही उन्होंने परिवार और करियर के बीच गजब का संतुलन बनाए रखा।<ref>{{cite web|title=न्याय - पथ लीला सेठ (पूर्व चीफ जस्टिस)|url=http://www.aazad.com/justice-leela-seth-.html|accessdate=1 दिसम्बर 2013|publisher=आज़ाद डॉट कॉम|archive-url=https://web.archive.org/web/20131203013639/http://www.aazad.com/justice-leela-seth-.html|archive-date=3 दिसंबर 2013|url-status=live}}</ref>
== किताबें ==
पंक्ति 21:
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://web.archive.org/web/20181220230520/https://roar.media/hindi/main/miscellaneous/leila-seth-london-bar-exam-topper-first-women-judge-of-delhi-high-court-hindi-srticle/ '''लीला सेठ''': दिल्ली उच्च-न्यायालय की पहली महिला न्यायधीश]
|