"वर्षा जल संचयन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Johad.JPG|thumb|right|200px|ठाठवाड़, [[राजस्थान]] के एक गांव में जोहड़ में संचयन]]
[[चित्र:Bawdi.jpg|thumb|right|180px|फतेहपुर, [[शेखावाटी]] का एक स्टेपवैल। यह हिन्दी फिल्म [[पहेली (2005 फ़िल्म)|पहेली]] में भी दिखाया गया था]]
'''वर्षा जल संचयन''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: ''वाटर हार्वेस्टिंग '') [[वर्षा]] के [[जल]] को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण [[पृथ्वी]] के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी. (बीसीएम) के रूप में किया गया है जिसमें से १६० बीसीएम की पुन: प्राप्ति हो सकती है।<ref name="मंत्रालय">[http://wrmin.nic.in/index3.asp?sslid=823&subsublinkid=799&langid=2 कृत्रिम पुनर्भरण एवं वर्षा जल संचयन अध्ययन] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090410043037/http://wrmin.nic.in/index3.asp?sslid=823&subsublinkid=799&langid=2 |date=10 अप्रैल 2009 }}।[[जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार]]।{{हिन्दी चिह्न}}</ref> इस समस्या का एक समाधान जल संचयन है। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता, फसलों की [[सिंचाई]] के विकल्प के रूप में जल संचयन प्रणाली को विश्वव्यापी तौर पर अपनाया जा रहा है। जल संचयन प्रणाली उन स्थानों के लिए उचित है, जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम २०० मिमी वर्षा होती हो। इस प्रणाली का खर्च ४०० वर्ग इकाई में नया घर बनाते समय लगभग बारह से पंद्रह सौ रुपए मात्र तक आता है।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-78061.html#at वॉटर हार्वेस्टिंग]।[[हिन्दुस्तान लाइव]]।{{हिन्दी चिह्न}}।[[२६ अक्टूबर|२६ अक्तूबर]], [[२००९]]</ref>
 
==उपयोग==
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== संचयन के तरीके ==
[[चित्र:CatchingHillRunoffwater.JPG|thumb|right|180px|पहाड़ियों में जल [[संचयन]] की प्रणाली का आरेख]]
शहरी क्षेत्रों में वर्षा के जल को संचित करने के लिए बहुत सी संचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है।<ref name="इंडियाजी">[http://www.indg.in/rural-energy/technologies-under-rural-energy/92d942-91c932-93894d924930-915940-93594392694d92793f-939947924941-93593094d93793e-91c932-93890291a92f928-924915928940915 भू-जल स्तर की वृद्धि हेतु वर्षा जल संचयन तकनीक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110116081307/http://www.indg.in/rural-energy/technologies-under-rural-energy/92d942-91c932-93894d924930-915940-93594392694d92793f-939947924941-93593094d93793e-91c932-93890291a92f928-924915928940915 |date=16 जनवरी 2011 }}। इंडिया डवलपमेंट गेटवे।{{हिन्दी चिह्न}}। जल संसाधन मंत्रालय, केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, फरीदाबाद</ref> ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल का संचयन वाटर शेड को एक इकाई के रूप लेकर करते हैं। आमतौर पर सतही फैलाव तकनीक अपनाई जाती है क्योंकि ऐसी प्रणाली के लिए जगह प्रचुरता में उपलब्ध होती है तथा पुनर्भरित जल की मात्रा भी अधिक होती है। ढलान, नदियों व नालों के माध्यम से व्यर्थ जा रहे जल को बचाने के लिए इन तकनीकों को अपनाया जा सकता है। गली प्लग, परिरेखा बांध (कंटूर बंड), गेबियन संरचना, परिस्त्रवण टैंक (परकोलेशन टैंक), चैक बांध/सीमेन्ट प्लग/नाला बंड, पुनर्भरण शाफ्‌ट, कूप डग वैल पुनर्भरण, भूमि जल बांध/उपसतही डाईक, आदि।<ref name="इंडियाजी"/> ग्रामीण क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षाजल से उत्पन्न अप्रवाह संचित करने के लिए भी बहुत सी संरचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में इमारतों की छत, पक्के व कच्चे क्ष्रेत्रों से प्राप्त वर्षा जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों में पुनर्भरित किया जा सकता है व ज़रूरत के समय लाभकारी ढंग से प्रयोग में लाया जा सकता है। वर्षा जल संचयन की प्रणाली को इस तरीके से अभिकल्पित किया जाना चाहिए कि यह संचयन/इकट्‌ठा करने व पुनर्भरण प्रणाली के लिए ज्यादा जगह न घेरे। शहरी क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षा जल का भण्डारण करने की कुछ तकनीके इस प्रकार से हैं<ref name="इंडियाजी"/>: पुनर्भरण पिट (गड्ढा), पुनर्भरण खाई, नलकूप और पुनर्भरण कूप, आदि।
 
== भारत में संचयन ==
[[भारत]] में मित जलीय क्षेत्रों, जैसे [[राजस्थान]] के [[थार मरुस्थल|थार]] [[मरुस्थल|रेगिस्तान]] क्षेत्र में लोग जल संचयन से जल एकत्रित किया करते हैं। यहां छत-उपरि जल संचयन तकनीक अपनायी गयी है। छतों पर वर्षा जल संचयन करना सरल एवं सस्ती तकनीक है जो मरूस्थलों में हजारों सालों से चलायी जा रही है। पिछले दो ढाई दशकों से बेयरफूट कॉलेज पंद्रह-सोलह राज्यों के गांवों और अंचलों के पाठशालाओं में, विद्यालय की छतों पर इकठ्ठा हुए वर्षा जल को, भूमिगत टैंकों में संचित करके ३ करोड़ से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध कराता आया है। यह कॉलेज इस तकनीक को मात्र वैकल्पिक ही नहीं बल्कि स्थायी समाधान के रूप में विस्तार कर रहा है।<ref>[http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%AA-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A4%B2-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%AF%E0%A4%A8 रुफटोप वर्षा जल संचयन] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110709130114/http://hindi.indiawaterportal.org/content/%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%AA-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A4%B2-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%AF%E0%A4%A8 |date=9 जुलाई 2011 }}। इंडिया वॉटर पोर्टल।{{हिन्दी चिह्न}}। सौजन्य:जर्मन एग्रो एक्शन- केस स्टडी</ref> इस संरचना से दो उद्देश्यों पूर्ण होते हैं:-
* पेयजल स्रोत, विशेषत: शुष्क मौसम के चार से पांच माह
* स्वच्छता सुविधाओं में सुधार के लिए साल भर जल का प्रावधान
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20160315034036/http://hindi.indiawaterportal.org/content/छत%E0%A4%9B%E0%A4%A4-के%E0%A4%95%E0%A5%87-पानी%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80-का%E0%A4%95%E0%A4%BE-एकत्रीकरण%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3-roof-top-water-harvesting छत के पानी का एकत्रीकरण] (इण्डिया वाटर पोर्टल)
* [https://web.archive.org/web/20120121170609/http://mowr.gov.in/index3.asp?sslid=790&subsublinkid=775&langid=2&sslid=790 कृत्रिम पुनर्भरण संबंधी सलाहकार परिषद], [[भारत सरकार]]
* [https://web.archive.org/web/20120121165949/http://mowr.gov.in/index3.asp?sslid=789&subsublinkid=774&langid=2&sslid=789 राष्ट्रीय भूजल सम्मेलन]: [[भारत]]
{{प्राकृतिक संसाधन}}