"वल्लभ भाई पटेल": अवतरणों में अंतर

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'''वल्लभभाई झावेरभाई पटेल''' (३१ अक्टूबर १८७५ &ndash; १५ दिसंबर १९५०), जो '''सरदार पटेल''' के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख"। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।<ref>{{cite web|url=http://indianexpress.com/article/research/how-vallabhbhai-patel-v-p-menon-and-mountbatten-unified-india-4915468/|title=How Vallabhbhai Patel, V P Menon and Mountbatten unified India|access-date=31 अक्तूबर 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20171031141905/http://indianexpress.com/article/research/how-vallabhbhai-patel-v-p-menon-and-mountbatten-unified-india-4915468/|archive-date=31 अक्तूबर 2017|url-status=live}}</ref>
 
== जीवन परिचय ==
पटेल का जन्म [[नडियाद]], [[गुजरात]] में एक <!--कृपया बिना सन्दर्भ जोड़े जाति में परिवर्तन ना करें।-->लेवा पटेल(पाटीदार)<!--कृपया बिना सन्दर्भ जोड़े जाति में परिवर्तन ना करें।--><ref>{{citation |title=Community power: how the Patels hold sway over Gujarat |url=http://www.hindustantimes.com/india/community-power-how-the-patels-hold-sway-over-gujarat/story-WejgSajNL5YcxA3rUf8ajK.html |work=[[हिन्दुस्तान टाईम्स|हिंदुस्तान टाइम्स]] |date=2 नवम्बर 2017 |access-date=2 मई 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190806200958/https://www.hindustantimes.com/india/community-power-how-the-patels-hold-sway-over-gujarat/story-WejgSajNL5YcxA3rUf8ajK.html |archive-date=6 अगस्त 2019 |url-status=live }}</ref> जाति में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और [[विट्ठल भाई पटेल|विट्टलभाई]] उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। [[लंदन|लन्दन]] जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर [[अहमदाबाद]] में वकालत करने लगे। [[महात्मा गांधी]] के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
 
== खेडा संघर्ष ==
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{{मुख्य|भारत का राजनीतिक एकीकरण}}
 
स्वतंत्रता के समय भारत में 562 देसी रियासतें थीं। इनका क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही वीपी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था।<ref>{{cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/Swaminomics/dont-hail-patel-as-the-great-unifier-hes-a-flawed-hero/|title=Don’t hail Patel as the Great Unifier, he’s a flawed hero|access-date=4 नवंबर 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20181104074810/https://timesofindia.indiatimes.com/blogs/Swaminomics/dont-hail-patel-as-the-great-unifier-hes-a-flawed-hero/|archive-date=4 नवंबर 2018|url-status=live}}</ref> पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। केवल [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू एवं कश्मीर]], [[जूनागढ़|जूनागढ]] तथा [[हैदराबाद प्रांत|हैदराबाद स्टेट]] के राजाओं ने ऐसा करना नहीं स्वीकारा। जूनागढ सौराष्ट्र के पास एक छोटी रियासत थी और चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वह पाकिस्तान के समीप नहीं थी। वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। राज्य की सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत विलय चाहती थी। नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश कर गयी। नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ भी भारत में मिल गया। फरवरी 1948 में वहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जो भारत में विलय के पक्ष में रहा। हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी, जो चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। वह ढेर सारे हथियार आयात करता रहा। पटेल चिंतित हो उठे। अन्ततः भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
नेहरू ने काश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक अन्तरराष्ट्रीय समस्या है। कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले गये और अलगाववादी ताकतों के कारण कश्मीर की समस्या दिनोदिन बढ़ती गयी।
5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री मोदीजी और गृहमंत्री अमित शाह जी के प्रयास से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35(अ) समाप्त हुआ। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया और सरदार पटेल का भारत को अखण्ड बनाने का स्वप्न साकार हुआ। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रेदश अस्तित्व में आये। अब जम्मू-कश्मीर केन्द्र के अधीन रहेगा और भारत के सभी कानून वहाँ लागू होंगे। पटेल जी को कृतज्ञ राष्ट्र की यह सच्ची श्रद्धांजलि है। <ref>[http://www.prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=131031-111906-320010 भारत को एकजुट करने वाले सरदार पटेल] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160305220157/http://prabhasakshi.com/showarticle.aspx?articleid=131031-111906-320010 |date=5 मार्च 2016 }} (प्रभासाक्षी)</ref>
 
== गांधी, नेहरू और पटेल ==
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{{मुख्य|स्टैच्यू ऑफ यूनिटी}}
इसकी ऊँचाई 240 मीटर है, जिसमें 58 मीटर का आधार है। मूर्ति की ऊँचाई 182 मीटर है, जो स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊँची है।
31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने गुजरात के [[नर्मदा जिला|नर्मदा जिले]] में सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया। यहाँ लौह से निर्मित सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा लगाने का निश्चय किया गया, अतः इस स्मारक का नाम 'एकता की मूर्ति' ([[स्टैच्यू ऑफ यूनिटी]]) रखा गया है।<ref>{{cite web|url=https://theprint.in/opinion/even-if-statue-of-unity-becomes-as-famous-as-taj-mahal-we-need-120-years-to-break-even/142596/|title=Even if Statue of Unity becomes as famous as Taj Mahal, we may need 120 years to break even|access-date=30 अक्तूबर 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20181030205900/https://theprint.in/opinion/even-if-statue-of-unity-becomes-as-famous-as-taj-mahal-we-need-120-years-to-break-even/142596/|archive-date=30 अक्तूबर 2018|url-status=live}}</ref> प्रस्तावित प्रतिमा को एक छोटे चट्टानी द्वीप 'साधू बेट' पर स्थापित किया गया है जो [[केवाडिया]] में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच स्थित है।
 
2018 में तैयार इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री मोदी जी ने 31 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया। यह प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है। <ref>{{cite news |url=http://aajtak.intoday.in/story/amidst-politics-over-sardar-patel-legacy-narendra-modi-to-lay-foundation-stone-of-statue-of-unity-1-745954.html |title=सरदार पटेल की विरासत पर विवाद के बीच आज 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की नींव रखेंगे नरेंद्र मोदी |publisher=आज तक |date=31 अक्टूबर 2013 |accessdate= |archive-url=https://web.archive.org/web/20161108123534/http://aajtak.intoday.in/story/amidst-politics-over-sardar-patel-legacy-narendra-modi-to-lay-foundation-stone-of-statue-of-unity-1-745954.html |archive-date=8 नवंबर 2016 |url-status=live }}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://books.google.co.in/books?id=oCucDAAAQBAJ&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false एकता की ब्रह्ममूर्ति '''सरदार वल्लभभाई पटेल'''] (गूगल पुस्तक)
* [https://web.archive.org/web/20160304215531/http://prabhasakshi.com/ShowArticle.aspx?ArticleId=151031-120807-480011 पटेल ने कैसे किया रियासतों को एक करने का करिश्मा] (प्रभासाक्षी)
* [https://web.archive.org/web/20140210041947/http://panchjanya.com/arch/2011/3/6/File22.htm गांधीजी ने नेहरू को ही देश का नेतृत्व क्यों सौंपा?] (डॉ॰ सतीश चन्द्र मित्तल)
* [httphttps://wwwweb.archive.org/web/20170926173753/http://hindi.ibtl.in/news/rashtra-vandana/1778/article.ibtl/ देसी रियासतों को भारत में मिलाने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को नमन ]
* [http://www.abebooks.co.uk/Sardar-Vallabh-Bhai-Patel-Comrade-Mao/5045478391/bd/Sardar Vallabhbhai Patel and Comrade Mao TseTung]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} by Ravindra Kumar
 
{{प्रवेशद्वार|गुजरात}}