"विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा": अवतरणों में अंतर

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'''विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा''' (Electroconvulsive therapy / ECT) [[मनोचिकित्सा|मनश्चिकित्सा]] की एक मानक विधि है। सामान्यतः इसे 'आघात चिकित्सा' या आम भाषा में 'बिजली के झटके' कहा जाता है। यह [[एकध्रुवीय अवसाद]] (Major depressive disorder) का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से इलेक्ट्रोड संलग्न कर उसमें [[विद्युत धारा]] प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुँचाई जाती है। यह तीव्र अवसाद के रोगियों पर प्रभावी होती है जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है।
 
बिजली के झटके या ईचीटी के के संबन्ध में साधारण लोगों मे एक डर रहता है किन्तु ईसीटी एक बहुत ही सुरक्षित एवं असरदार इलाज है। कई मरीज जो अवसाद से ग्रस्त हों, इस कदर की वो [[आत्महत्या]] की बात सोंचे या करे, उनमें भी ईसीटी बहुत जल्द असर दिखाती है। इसे इतना सुरक्षित माना गया है कि गर्भवती महिलाएंँ जब मानसिक रूप से बीमार हो जाती हैं, ईसीटी देना दवाइयों से ज्यादा सुरक्षित माना गया है। शोध किये गये हैं जिसमें ईसीटी को पूरी तरह से सुरक्षित माना गया है। <ref>[http://cipranchi.nic.in/cipranchi_adm/writereaddata/upload/files/manasik/UKO.pdf '''उजाले की ओर'''] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20141006095920/http://cipranchi.nic.in/cipranchi_adm/writereaddata/upload/files/manasik/UKO.pdf |date=6 अक्तूबर 2014 }} (केन्द्रीय मनश्चिकित्सा सम्स्थान)</ref>
 
==सन्दर्भ==