"वृंदावनलाल वर्मा": अवतरणों में अंतर

Rescuing 6 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1
पंक्ति 28:
 
==जीवन परिचय==
वृंदावनलाल वर्मा का जन्म [[९ जनवरी]] [[१८८९]] ई० को [[उत्तर प्रदेश]] के [[झाँसी जिला|झाँसी जिले]] के मऊरानीपुर के ठेठ रूढिवादी कायस्थ <ref name="Padma Awards">{{cite web | url=http://mha.nic.in/sites/upload_files/mha/files/LST-PDAWD-2013.pdf | title=Padma Awards | publisher=गृह मंत्रालय, भारत सरकार | date=2015 | accessdate=१४ दिसम्बर २०१५ | archive-url=https://www.webcitation.org/6U68ulwpb?url=http://mha.nic.in/sites/upload_files/mha/files/LST-PDAWD-2013.pdf | archive-date=15 नवंबर 2014 | url-status=live }}</ref>परिवार में हुआ था। पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था। प्रारम्भिक शिक्षा भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुई। बी.ए. पास करने के बाद इन्होंने कानून की परीक्षा पास की और झाँसी में वकालत करने लगे। [[१९०९]] ई० में 'सेनापति ऊदल' नामक नाटक छपा जिसे तत्कालीन सरकार ने जब्त कर लिया। [[१९२०]] ई० तक छोटी छोटी कहानियाँ लिखते रहे। <ref name="Vrindavan Lal Verma">{{cite web | url=http://www.hawaiilibrary.net/Article.aspx?Title=Vrindavan_Lal_Verma | title=Vrindavan Lal Verma | publisher=Hawai Library | date=2015 | accessdate=१४ दिसम्बर २०१५ | archive-url=https://web.archive.org/web/20151222105722/http://www.hawaiilibrary.net/Article.aspx?Title=Vrindavan_Lal_Verma | archive-date=22 दिसंबर 2015 | url-status=live }}</ref>[[१९२७]] ई० में 'गढ़ कुण्डार' दो महीने में लिखा। [[१९३०]] ई० में 'विराटा की पद्मिनी' लिखा। विक्टोरिया कालेज [[ग्वालियर]] से स्नातक तक की पढाई करने के लिये ये [[आगरा]] आये और आगरा कालेज से कानून की पढाई पूरी करने के बाद <ref>The Encyclopaedia Of Indian Literature (Volume Five (Sasay To Zorgot), Volume 5 By Mohan Lal</ref>बुन्देलखंड (झांसी) में वकालत करने लगे। इन्हे बचपन से ही बुन्देलखंड की ऐतिहासिक विरासत में रूचि थी। जब ये उन्नीस साल के किशोर थे तो इन्होंने अपनी पहली रचना ‘महात्मा बुद्ध का जीवन चरित’(1908) लिख डाली थी। उनके लिखे नाटक ‘सेनापति ऊदल’(1909) में अभिव्यक्त विद्रोही तेवरों को देखते हुये तत्कालीन अंग्रजी सरकार ने इसी प्रतिबंधित कर दिया था।
 
ये प्रेम को जीवन का सबसे आवश्यक अंग मानने के साथ जुनून की सीमा तक सामाजिक कार्य करने वाले साधक भी थे। इन्होंने वकालत व्यवसाय के माध्यम से कमायी समस्त पूंजी समाज के कमजोर वर्ग के नागरिकों को पुर्नवासित करने के कार्य में लगा दी।
पंक्ति 111:
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20121215042057/http://books.google.co.in/books?id=qi8SgRAJDfkC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false अमर बेल] (गूगल पुस्तक ; लेखक -वृंदालाल वर्मा)
* [https://web.archive.org/web/20160222124959/http://www.hindisamay.com/writer/writer_details_n.aspx?id=1724 'हिंदी समय' में वृंदावनलाल वर्मा की रचनाएँ ]
* [https://web.archive.org/web/20160119034433/http://gadyakosh.org/gk/%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE गद्यकोश पर वृन्दालाल वर्मा की कहानियाँ]
* [https://web.archive.org/web/20170203153236/http://wereader.blogspot.in/2012/11/blog-post_21.html वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यासों में इतिहास और कल्पना]
 
==सन्दर्भ==