"शारदा राजन आयंगर": अवतरणों में अंतर

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== करियर ==
शारदा का परिवार तमिल है। लेकिन उन्हें बचपन से हिन्दी गीत गाने का शौक था। [[तेहरान]] में एक बड़े फिल्म वितरक श्रीचंद आहुजा ने [[राज कपूर]] के लिये पार्टी रखी थी जिसमें शारदा ने गायन किया। राज कपूर ने उन्हें मुम्बई आने पर [[शंकर-जयकिशन]] के शंकर से मिलवाया। थोड़े अभ्यास और रियाज़ के बाद उन्हें ''सूरज'' के "तितली उड़ी, उड़ जो चली" को गाने का मौका मिला। ये गीत 1966 का लोकप्रिय गीतों में से एक हुआ। उस समय ऐसा होता था कि प्रतिष्ठित फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायन के लिये एक ही श्रेणी थी (या तो किसी पुरुष या किसी महिला को मिलता), लेकिन [[मोहम्मद रफ़ी|मोहम्मद रफी]] के "बहारों फूल बरसाओ" के साथ "तितली उड़ी" को समान वोट प्राप्त हुए। पुरस्कार तो मोहम्मद रफी को ही मिला लेकिन उन्हें इस कीर्तिमान के लिये एक विशेष पुरस्कार दिया गया।<ref>{{cite web |title=तितली उड़ी, उड़ जो चली ! मेरा दिल मचल गया, उन्हें देखा और बदल गया |url=https://www.amarujala.com/kavya/mud-mud-ke-dekhta-hu/sharda-rajan-ayyangar-talks-about-his-memories |website=[[अमर उजाला]] |accessdate=6 जनवरी 2019 |date=27 जनवरी 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190106161645/https://www.amarujala.com/kavya/mud-mud-ke-dekhta-hu/sharda-rajan-ayyangar-talks-about-his-memories |archive-date=6 जनवरी 2019 |url-status=live }}</ref>
 
अगले वर्ष से महिला और पुरुष के लिये अलग-अलग श्रेणी बना दी गई। फिर उन्हें लगातार 4 वर्षों के लिये नामांकित किया गया जब दोनों बहनें [[लता मंगेशकर]] और [[आशा भोसले|आशा भोंसले]] का दबदबा था। परंतु बाद में शंकर-जयकिशन के समय का क्षण होने लगा और उनको [[रवि (संगीत निर्देशक)|रवि]] और [[उषा खन्ना]] के अलावा किसी ने काम नहीं दिया। 1987 में शंकर के निधन तक आते-आते उनको गाने के मौके खत्म हो गए थे।