"सूर्य सेन": अवतरणों में अंतर
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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध इतिहासवेत्ता एम मलिक के अनुसार घटना 18 अप्रैल 1930 से शुरू होती है जब बंगाल के चटगांव में आजादी के दीवानों ने अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिए इंडियन रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) का गठन कर लिया।
आईआरए के गठन से पूरे बंगाल में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी और 18 अप्रैल 1930 को सूर्यसेन के नेतृत्व में दर्जनों क्रांतिकारियों ने चटगांव के शस्त्रागार को लूटकर अंग्रेज शासन के खात्मे की घोषणा कर दी। क्रांति की ज्वाला के चलते हुकूमत के नुमाइंदे भाग गए और चटगांव में कुछ दिन के लिए अंग्रेजी शासन का अंत हो गया।<ref>
== चटगाँव विद्रोह का प्रभाव, गिरफ्तारी तथा मृत्यु ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20110112003336/http://www.abhivyakti-hindi.org/snibandh/2009/chatgaon.htm चटगाँव-विद्रोह की रोमांचक कहानी]
* [https://web.archive.org/web/20090618160324/http://banglapedia.search.com.bd/HT/S_0623.htm Banglapedia article on Surya Sen]
* [http://profile.iiita.ac.in/IIT2006065/7th%20sem%20project/project/hin_corp_unicode/hin_corp_unicode/1077_utf.txt सूर्य सेन]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}
* [https://web.archive.org/web/20130115122023/http://burabhala.blogspot.in/2013/01/blog-post_12.html चटगांव विद्रोह के नायक - "मास्टर दा"]
* [https://web.archive.org/web/20131110082138/http://bharatkenayak.blogspot.in/2011/03/blog-post_20.html चटगाँव आर्मरी रेड के नायक मास्टर सूर्य सेन]
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