"हीरा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Rescuing 6 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
||
पंक्ति 3:
[[चित्र:Koh-i-Noor new version copy.jpg|thumb|right|कोहिनूर की एक और प्रति]]
[[चित्र:Diamanter, Några stora och ryktbara diamanter, Nordisk familjebok.png|right|thumb|हीरों की आकृतियां]]
'''हीरा''' एक पारदर्शी रत्न है। यह रासायनिक रूप से [[कार्बन]] का शुद्धतम रूप है। हीरा में प्रत्येक कार्बन [[परमाणु]] चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़ा रहता है। कार्बन परमाणुओं के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों [[इलेक्ट्रान]] सह-संयोजी बन्ध में भाग ले लेते हैं तथा एक भी इलेक्ट्रान संवतंत्र नहीं होता है। इसलिए हीरा [[ऊष्मा]] तथा [[विद्युत]] का कुचालन होता है। हीरा में सभी कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं, इसलिए यह बहुत कठोर होता है। हीरा प्राक्रतिक पदार्थो में सबसे कठोर पदार्थ है इसकी कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगो तथा आभूषणों में किया जाता है। हीरे केवल [[सफ़ेद]] ही नहीं होते अशुद्धियों के कारण इसका शेड [[नीला]], [[लाल]], [[संतरा]], [[पीला]], [[हरा]] व [[काला]] होता है। हरा हीरा सबसे दुर्लभ है। हीरे को यदि ओवन में ७६३ डिग्री सेल्सियस पर गरम किया जाये, तो यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड बना लेता है तथा बिल्कूल ही राख नहीं बचती है।<ref>{{cite web
दुनिया का सबसे बड़ा हीरा कलिनन हीरा (Cullinan Diamond) है जो 3106 कैरेट का है। इसका पता 1905 में दक्षिण अफ्रीका में लगाया गया था। यह अभी ब्रिटेन राजघरानों के शाही संग्रह में शोभायमान है। <ref>{{Cite web|url=https://khabar.ndtv.com/news/lifestyle/worlds-second-largest-diamond-1758-carat-sewelo-diamond-2168914|title=दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हीरा, इस 1758 कैरेट के हीरे का नाम है 'सेवेलो डायमंड'|website=NDTVIndia|access-date=2020-02-16|archive-url=https://web.archive.org/web/20200125135632/https://khabar.ndtv.com/news/lifestyle/worlds-second-largest-diamond-1758-carat-sewelo-diamond-2168914|archive-date=25 जनवरी 2020|url-status=live}}</ref> अब तक ढूंढ़ा गया दुनिया का सबसे दूसरा बड़ा अपरिष्कृत हीरा 1758 कैरेट का सेवेलो डायमंड (Sewelo Diamond) है, सेत्स्वाना भाषा में जिसका अर्थ 'दुर्लभ खोज' है।
<br />
Line 12 ⟶ 11:
== दुर्लभ हीरे ==
{{main|भारत के दुर्लभ हीरे}}
हीरा खान से निकाला जाता है और बाद में पॉलिश कर के चमकाया जाता है। १८वीं शताब्दी में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में हीरों की खानों का पता चलने से पहले तक दुनिया भर में भारत की गोलकुंडा खान से निकले हीरों की धाक थी।<ref>{{cite web|url=http://www.bhaskar.com/2009/02/01/0902011145_diamond.html|title=भगवान का आंसू है हीरा|access-date=[[१४ मई]] [[२००९]]|format=एएसपीएक्स|publisher=दैनिक भास्कर|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20090205233007/http://www.bhaskar.com/2009/02/01/0902011145_diamond.html|archive-date=5 फ़रवरी 2009|url-status=live}}</ref> लेकिन यहाँ से निकले अधिकांश भारतीय हीरे या तो लापता हैं या विदेशी संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं। इनमें से एक हीरा ब्रिटेन की महारानी के ताज में जड़ा कोहिनूर भी है। सबसे अधिक वजन वाला हीरा ग्रेट मुगल गोलकुंडा की खान से १६५० में जब निकला तो इसका वजन ७८७ कैरेट था। जो कोहिनूर से करीब छह गुना अधिक था<ref>{{cite web|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshowpics/3084952.cms|title=मुगल डायमंडः रॉयल डायमंड|access-date=[[१४ मई]] [[२००९]]|format=एएसपीएक्स|publisher=नवभारत टाइम्स|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20110822075715/http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshowpics/3084952.cms|archive-date=22 अगस्त 2011|url-status=live}}</ref> आज यह हीरा आज कहाँ है किसी को पता नहीं। ऐसा ही एक बहुमूल्य हीरा अहमदाबाद डायमंड था जो बाबर ने १५२६ में पानीपत की लड़ाई के बाद ग्वालियर के राजा विक्रमजीत को हराकर हासिल किया था। इस दुर्लभ हीरे को आखिरी बार १९९० में लंदन के क्रिस्ले ऑक्सन हाउस की नीलामी में देखा गया था। द रिजेंट नामक १७०२ के आसपास गोलकुंडा की खान से निकला हीरा ४१० कैरेट था। जो बाद में नेपोलियन के पास पहुँचा। यह हीरा अब १४० कैरेट का हो चुका है और पेरिस के लेवोरे म्यूजियम में रखा गया है। इसी प्रकार ब्रोलिटी ऑफ इंडिया का। ९०.८ कैरेट के ब्रोलिटी जिसे कोहिनूर से भी पुराना बताया जाता है, १२वीं शताब्दी में फ्रांस की महारानी ने खरीदा। आज यह कहाँ है कोई नहीं जानता। एक और गुमनाम हीरा २०० कैरेट का ओरलोव था जिसे १८वीं शताब्दी में मैसूर के मंदिर की एक मूर्ति की आंख से फ्रांस के व्यापारी ने चुराया था। ▼
▲|access-date=[[१४ मई]] [[२००९]]|format=एएसपीएक्स|publisher=नवभारत टाइम्स|language=}}</ref> आज यह हीरा आज कहाँ है किसी को पता नहीं। ऐसा ही एक बहुमूल्य हीरा अहमदाबाद डायमंड था जो बाबर ने १५२६ में पानीपत की लड़ाई के बाद ग्वालियर के राजा विक्रमजीत को हराकर हासिल किया था। इस दुर्लभ हीरे को आखिरी बार १९९० में लंदन के क्रिस्ले ऑक्सन हाउस की नीलामी में देखा गया था। द रिजेंट नामक १७०२ के आसपास गोलकुंडा की खान से निकला हीरा ४१० कैरेट था। जो बाद में नेपोलियन के पास पहुँचा। यह हीरा अब १४० कैरेट का हो चुका है और पेरिस के लेवोरे म्यूजियम में रखा गया है। इसी प्रकार ब्रोलिटी ऑफ इंडिया का। ९०.८ कैरेट के ब्रोलिटी जिसे कोहिनूर से भी पुराना बताया जाता है, १२वीं शताब्दी में फ्रांस की महारानी ने खरीदा। आज यह कहाँ है कोई नहीं जानता। एक और गुमनाम हीरा २०० कैरेट का ओरलोव था जिसे १८वीं शताब्दी में मैसूर के मंदिर की एक मूर्ति की आंख से फ्रांस के व्यापारी ने चुराया था।
कुछ गुमनाम भारतीय हीरे: ग्रेट मुगल (२८० कैरेट), ओरलोव (२०० कैरेट), द रिजेंट (१४० कैरेट), ब्रोलिटी ऑफ इंडिया (९०.८ कैरेट),
अहमदाबाद डायमंड (७८.८ कैरेट), द ब्लू होप (४५.५२ कैरेट), आगरा डायमंड (३२.२ कैरेट), द नेपाल (७८.४१)
Line 25 ⟶ 22:
== बाहरी कड़ियाँ ==
{{commons|Diamond}}
* [https://web.archive.org/web/20110820100545/http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshowpics/msid-3079355.cms तस्वीरों में: सबसे कीमती हीरे]
[https://web.archive.org/web/20150402154352/http://khabar.ibnlive.in.com/news/134054/1 विशेष: भारत के 10 सबसे कीमती हीरे, जो हैं विदेशी तिजोरियों में कैद]
{{pp-semi-template|small=yes}}
|