"ॐ": अवतरणों में अंतर
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→महत्व तथा लाभ: मैंने साधु सन्यासियों से सम्पर्क किया और उन्होंने मेरी दुविधा का हल किया और मुझे ॐ का अर्थ दिया टैग: References removed मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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[[चित्र:Bali Omkara Red.png|right|thumb|150px|[[बाली भाषा]] में ओंकार]]
'''ओ३म्''' ('''ॐ''') या '''ओंकार''' का नामान्तर [[ॐ|प्रणव]] है। यह [[ईश्वर]] का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य-वाचक-भाव सम्बन्ध नित्य है, सांकेतिक नहीं। संकेत नित्य या स्वाभाविक संबंध को प्रकट करता है। सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकाररूपी प्रणव का ही स्फुरण होता है। तदनंतर सात करोड़ मंत्रों का आविर्भाव होता है। इन मंत्रों के वाच्य आत्मा के देवता रूप में प्रसिद्ध हैं। ये देवता माया के ऊपर विद्यमान रह कर मायिक सृष्टि का नियंत्रण करते हैं। इन में से आधे शुद्ध मायाजगत् में कार्य करते हैं और शेष आधे अशुद्ध या मलिन मायिक जगत् में। इस एक शब्द को ब्रह्मांड का सार माना जाता है, 16 श्लोकों में इसकी महिमा वर्णित है।<ref>
== परिचय ==
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ॐ परब्रह्म का वाचक है ,क्योंकि ॐ से ही सृष्टि संचालन होता है, और ॐ की शक्ति की वजह से ही सृष्टि की रचना हुई है:-
कुछ लोग त्रिदेवो का वाचक ॐ को समझते हैं जो गलत है क्योंकि ॐ त्रिदेवों से भी ऊपर की सत्ता है जो त्रिदेवों और अन्य सांसारिक इंसान, पशु-पक्षियों, प्रकृति
का महाप्रभु ही नही जन्मदाता भी है,इसलिये[http://hindi.webdunia.com/%E0%A5%90-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A5%90-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1100707063_1{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} ॐ को परमपिता परमात्मा का रूप समझना चाहिए
जीवन का पूरा सत्य है ॐ के अंदर ही होता है कोई भी प्राणी जन्म लेता है तो उसे एक आकार मिलता है फिर उसे अपना जीवन दूसरों के उपकार के लिए लगाना चाहिए अंत समय में सभी प्राणी मृत्यु को प्राप्त होते हैं इन सभी का साक्षी परमपिता परमात्मा एक बिंदु रूप में हमारे साथ और जीवन भर रहते हैं इसलिए हमें सदा ही धर्म के कार्य के लिए अपना जीवन लगा देना चाहिए
=== लाभ ===
पद्माशन में बैठ कर इसका जप करने से मन को शांति तथा एकाग्रता की प्राप्ति होती है, वैज्ञानिकों तथा ज्योतिषियों को कहना है कि ओउ्म तथा एकाक्षरी मंत्र<ref>ओउ्म, यं, रं, वं, सं, शं, षं, हं, फट् आदि जिसमें अं की मात्रा का उपयोग हो वह मंत्र एकाक्षरी मंत्र होता है।</ref> का पाठ करने में दाँत, नाक, जीभ सब का उपयोग होता है जिससे हार्मोनल स्राव कम होता है तथा ग्रंथि स्राव को कम करके यह शब्द कई बीमारियों से रक्षा तथा शरीर के सात चक्र (कुंडलिनी) को जागृत करता है।<ref>
== विवेचना ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20190703093543/http://agniveer.com/om-hindi/ '''ॐ''' : मानवता का सबसे बड़ा धन]
* [http://forum.spiritualindia.org/धर्मों-में-ॐ-उच्चारण-का-महत्व-t21830.0.html धर्मों में ॐ उच्चारण का महत्व]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}
* [https://web.archive.org/web/20071218073951/http://www.atmajyoti.org/med_om_in_upanishads.asp Aum in the Upanishads, Bhagavad Gita, and Yoga Sutras]
* [https://web.archive.org/web/20070504110521/http://hinduism.about.com/library/weekly/aa022200.htm About.com on Aum in Hinduism]
* [https://web.archive.org/web/20100516201100/http://www.guardian.co.uk/education/2010/may/03/repetitive-physics-om-improbable-research Improbable research: The repetitive physics of Om]
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
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