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'''अकाल तख़्त''' ([[पंजाबी भाषा]]: ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ, शाब्दिक अर्थ: काल से रहत परमात्मा का सिंहासन)<ref name="Fahlbusch 2008">Fahlbusch E. (ed.) [http://books.google.com/books?id=lZUBZlth2qgC&pg=PA10&lpg=PA10&dq=harmandir+sahib&source=bl&ots=RdAjNWYmKJ&sig=FEqZjqZHo13SSN3Yrzr9TDNfqG8&hl=en&sa=X&ei=pbxsUJm2FMjWigL48YGYBg&ved=0CD4Q6AEwBDgU#v=onepage&q=harmandir%20sahib&f=false "The encyclopedia of Christianity."] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140507080515/http://books.google.com/books?id=lZUBZlth2qgC&pg=PA10&lpg=PA10&dq=harmandir+sahib&source=bl&ots=RdAjNWYmKJ&sig=FEqZjqZHo13SSN3Yrzr9TDNfqG8&hl=en&sa=X&ei=pbxsUJm2FMjWigL48YGYBg&ved=0CD4Q6AEwBDgU#v=onepage&q=harmandir%20sahib&f=false |date=7 मई 2014 }} Eerdmans, Grand Rapids, Michigan, 2008. ISBN 978-0-8028-2417-2</ref> सिखों के पांच तख़्तों में से एक है। यह [[हरिमन्दिर साहिब]] परिसर [[अमृतसर]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब, भारत]] में स्थित है, और [[नई दिल्ली]] के उत्तर पश्चिम से लगभग 470 किमी की दूरी पर स्थित है।
 
अकाल तख़्त पांच तख़्तों में सबसे पहला तख़्त है। इसे सिखों के छठे गुरु, [[गुरु हरगोबिन्द]] ने न्याय-संबंधी और सांसारिक मामलों पर विचार करने के लिए स्थापित किया। यह [[ख़ालसा]] की सांसारिक एवं सर्वोच्च प्राधिकारी है और इस तख़्त पर बैठने वाला ''जथेदार'' को सिखों के सर्वोच्च प्रवक्ता माना जाता है। वर्तमान जथेदार ज्ञानी [[गुरबचन सिंह ख़ालसा]] हैं।
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[[गुरु राम दास]] ने पहले हरिमन्दिर साहिब के पास बैठने के लिए मिट्टी का एक चबूतरा बनवाया। इसके बाद [[गुरु अर्जुन देव]] ने इसी स्थान पर एक कच्ची कोठरी बनवाई जिसे सिख कोठा साहब कहते हैं। हरिमन्दिर साहिब की नींव मुस्लिम सूफ़ी मियाँ मीर ने रखी। जबकि अकाल तख़्त की नींव [[बाबा बुड्ढा]], [[भाई गुरदास]] और [[गुरु हरगोबिन्द]] ने रखी। सर्वप्रथम गुरु हरगोबिन्द ने इस तख़्त पर बैठे। इतिहास बताता है कि अकाल तख़्त पर बार बार हमले हुए हैं।
 
अठारहवीं सदी में [[अहमद शाह अब्दाली]] ने अकाल तख़्त और हरिमन्दिर साहिब पर कई हमले किए।<ref name="Fahlbusch 2008">Fahlbusch E. (ed.) [http://books.google.com/books?id=lZUBZlth2qgC&pg=PA10&lpg=PA10&dq=harmandir+sahib&source=bl&ots=RdAjNWYmKJ&sig=FEqZjqZHo13SSN3Yrzr9TDNfqG8&hl=en&sa=X&ei=pbxsUJm2FMjWigL48YGYBg&ved=0CD4Q6AEwBDgU#v=onepage&q=harmandir%20sahib&f=false "The encyclopedia of Christianity."] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140507080515/http://books.google.com/books?id=lZUBZlth2qgC&pg=PA10&lpg=PA10&dq=harmandir+sahib&source=bl&ots=RdAjNWYmKJ&sig=FEqZjqZHo13SSN3Yrzr9TDNfqG8&hl=en&sa=X&ei=pbxsUJm2FMjWigL48YGYBg&ved=0CD4Q6AEwBDgU#v=onepage&q=harmandir%20sahib&f=false |date=7 मई 2014 }} Eerdmans, Grand Rapids, Michigan, 2008. ISBN 978-0-8028-2417-2</ref> [[सरदार हरि सिंह नलवा]] जो कि [[महाराजा रणजीत सिंह]] का एक सेनपति था ने अकाल तख़्त के स्वर्ण परिदृश्य का निर्माण करवाया।
 
भारतीय सेना [[अमृतसर]] शहर में स्थित [[हरिमन्दिर साहिब]] पर किया जाने वाला ऑपरेशन तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री [[इन्दिरा गांधी|इंदिरा गांधी]] के आदेश से 3 से 8 जून तक हुआ।<ref>http://www.rediff.com/news/2004/jun/03spec.htm {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090803203653/http://www.rediff.com/news/2004/jun/03spec.htm |date=3 अगस्त 2009 }} Rediff.com. 6 June 1984. Retrieved 9 August 2009.</ref> 4 जून 1984 में [[ऑपरेशन ब्लू स्टार]] के तहत पर अकाल तख़त और हरिमन्दिर साहिब को काफ़ी नुक़सान पहुँचाया गया।<ref>Sohan Lal Suri. 19th century. Umdat-ut-tawarikh, Daftar III, Part 2, trans. V.S. Suri, (1961) 2002, Amritsar: Guru Nanak Dev University, f. 260</ref>
 
==सन्दर्भ==