"अनसूया": अवतरणों में अंतर

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सती अनुसूया ने उनसे पूछा- 'मुनियो! मुझसे कौन-सा ऐसा अपराध हो गया, जो आप लोग मेरे द्वारा की हुई पूजा को ग्रहण नहीं कर रहे हैं? मुनियों ने कहा- देवि! यदि आप बिना वस्त्र के हमारा आतिथ्य करें तो हम आपके यहाँ भिक्षा ग्रहण करेंगे।' यह सुनकर सती अनुसूया सोच में पड़ गयीं। उन्होंने ध्यान लगाकर देखा तो सारा रहस्य उनकी समझ में आ गया। वे बोलीं- 'मैं आप लोगों का विवस्त्र होकर आतिथ्य करूँगी। यदि मैं सच्ची पतिव्रता हूँ और मैंने कभी भी काम-भाव से किसी पर-पुरुष का चिन्तन नहीं किया हो तो आप तीनों छ:-छ: माह के बच्चे बन जाएँ।' पतिव्रता का इतना कहना था कि त्रिदेव छ:-छ: माह के बच्चे बन गये। माता अनुसूया ने विवस्त्र होकर उन्हें अपना स्तनपान कराया और उन्हें पालने में खेलने के लिये डाल दिया। इस प्रकार त्रिदेव माता अनुसूया के वात्सल्य प्रेम के बन्दी बन गये। इधर जब तीनों देवियों ने देखा कि हमारे पति तो आये ही नहीं तो वे चिन्तित हो गयीं। आख़िर तीनों अपने पतियों का पता लगाने के लिये चित्रकूट गयीं। संयोग से वहीं नारद जी से उनकी मुलाक़ात हो गयी। त्रिदेवियों ने उनसे अपने पतियों का पता पूछा। नारद ने कहा कि वे लोग तो आश्रम में बालक बनकर खेल रहे हैं। त्रिदेवियों ने अनुसूया जी से आश्रम में प्रवेश करने की आज्ञा माँगी। अनुसूया जी ने उनसे उनका परिचय पूछा। त्रिदेवियों ने कहा- 'माता जी! हम तो आपकी बहुएँ हैं। आप हमें क्षमा कर दें और हमारे पतियों को लौटा दें।' अनुसूया जी का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने बच्चों पर जल छिड़ककर उन्हें उनका पूर्व रूप प्रदान किया और अन्तत: उन त्रिदेवों की पूजा-स्तुति की। त्रिदेवों ने प्रसन्न होकर अपने-अपने अंशों से अनुसूया के यहाँ पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया।
 
<ref>{{Cite web |url=http://www.lordsiva.in/?q=node%2F11 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=16 जून 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180831095808/http://lordsiva.in/?q=node%2F11 |archive-date=31 अगस्त 2018 |url-status=live }}</ref><ref>{{Cite web |url=https://www.shortstories.co.in/atri-and-anusuya/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=25 अप्रैल 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170426061703/https://www.shortstories.co.in/atri-and-anusuya/ |archive-date=26 अप्रैल 2017 |url-status=live }}</ref>
<ref>http://www.lordsiva.in/?q=node/11</ref><ref>https://www.shortstories.co.in/atri-and-anusuya/</ref>
 
==इन्हें भी देखें==