"आचार्य विश्वनाथ": अवतरणों में अंतर

Rescuing 3 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1
पंक्ति 6:
 
== कृतियाँ एवं महत्व ==
रस को साहित्य की आत्मा मानने वाले वे पहले संस्कृत आचार्य थे। साहित्य दर्पण में उनका सूत्र वाक्य ''रसात्मकं वाक्यं काव्यम्'' आज भी साहित्य का मूल माना जाता है और बार बार उद्धृत किया जाता है।<ref>{{cite web |url=http://www.sahityashilpi.com/2009/04/blog-post.html?showComment=1238553900000|title=मथ साहित्य समुद्र को [काव्य का रचना शास्त्र - 4] - आचार्य संजीव वर्मा सलिल |access-date=[[९ अप्रैल]] [[२००९]]|format=एचएमटीएल|publisher=साहित्य शिल्पी|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20141108183327/http://www.sahityashilpi.com/2009/04/blog-post.html?showComment=1238553900000|archive-date=8 नवंबर 2014|url-status=live}}</ref> साहित्य में रस की स्थापना करने वाले उनके इस दर्शन को विश्वव्यापी ख्याति मिली और इस ग्रंथ का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।<ref>{{cite web |url=http://www.exoticindiaart.com/book/details/IDE325/|title=द साहित्य दर्पण मिरर ऑफ कंपोज़ीशन|access-date=[[९ अप्रैल]] [[२००९]]|format=|publisher=एग्ज़ोटिक इंडिया आर्ट|language=अंग्रेज़ी|archive-url=https://web.archive.org/web/20090622121226/http://www.exoticindiaart.com/book/details/IDE325/|archive-date=22 जून 2009|url-status=live}}</ref> साहित्य दर्पण और काव्य प्रकाश की टीका के अतिरिक्त विश्वनाथ द्वारा अनेक काव्यों की भी रचना भी की गई है जिनका पता साहित्य दर्पण और काव्यप्रकाश दर्पण से लगता है। "राघव विलास", संस्कृत महाकाव्य, "कुवलयाश्वचरित्", प्राकृत भाषाबद्ध काव्य, "नरसिंहविजय" संस्कृत काव्य; "प्रभावतीपरिणय" और "चंद्रकला" नाटिका तथा "प्रशस्ति रत्नावली" जो सोलह भाषाओं में रचित करंभक है, का उल्लेख इन्होंने स्वयं किया है और उनके उदाहरण भी आवश्यकतानुसार दिए हैं जिनसे साहित्य दर्पणकार की बहुभाषाविज्ञता और प्रगल्भ पांडित्य की अभिव्यक्ति होती है।
== सन्दर्भ ==
पंक्ति 12:
 
== बाह्यसूत्र ==
* [httphttps://web.archive.org/web/20160913212834/https://sa.wikibooks.org/wiki/साहित्य_दर्पण%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A3 विकिबुक्स पर साहित्य दर्पण]
 
[[श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन]]