"आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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श्रीनिवासदास के उपन्यास परीक्षागुरू को हिन्दी का पहला उपन्यास कहा जाता है। कुछ विद्वान श्रद्धाराम फुल्लौरी के उपन्यास भाग्यवती को हिन्दी का पहला उपन्यास मानते हैं। बाबू [[देवकीनन्दन खत्री|देवकीनंदन खत्री]] का चंद्रकांता तथा चंद्रकांता संतति आदि इस युग के प्रमुख उपन्यास हैं। ये उपन्यास इतने लोकप्रिय हुए कि इनको पढने के लिये बहुत से अहिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी. इस युग की कहानियों में [[शिवप्रसाद सितारे हिन्द]] की राजा भोज का सपना महत्त्वपूर्ण है।
[[बलदेव अग्रहरि]] की सन १८८७ मे प्रकाशित नाट्य पुस्तक 'सुलोचना सती' में सुलोचना की कथा के साथ आधुनिक कथा को भी स्थान दिया गया हैं, जिसमे संपादको और देश सुधारको पर व्यंग्य किया गया हैं। कई नाटको में मुख्य कथानक ही यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करते हैं। बलदेव अग्रहरि की सुलोचना सती में भिन्नतुकांत छंद का आग्रह भी दिखाई देता हैं।<ref>{{cite book |url=http://books.google.co.in/books?id=JPMSAAAAMAAJ |title=हिन्दी नाटकः पुनर्मूल्यांकन |author=सत्येन्द्र तनेजा |publisher=
== द्विवेदी युग ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20121215063310/http://books.google.co.in/books?id=DE4FnQpjjCwC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false हिन्दी की अनिस्थिरता : एक ऐतिहासिक बहस] (गूगल पुस्तक ; लेखक - भारत यायावर)
[[श्रेणी:हिन्दी]]
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