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{{about|एक हिन्दू नक्षत्र|आद्रा नामक तारे|आद्रा तारा}}
[[चित्र:Orion_constellation_map.png|300px|right|thumb|आद्रा]]
'''आर्द्रा''' [[भारतीय ज्योतिष]] में एक [[नक्षत्र]] है। [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] भाषा से आए इस नाम का अर्थ होता है "नम"। आर्द्रा से सम्बन्धित हिंदू मिथक [[बृहस्पति (ज्योतिष)|बृहस्पति]] की दूसरी पत्नी तराका के साथ है। तराका एक [[असुर]] है जिसे [[ब्रह्मा]] द्वारा अखंडनीयता का वरदान मिला हुआ है। आर्द्रा सताइस नक्षत्रों में से एक है।<ref>{{cite book|last=Harness|first=Dennis M.|title=The Nakshatras: The Lunar Mansions of Vedic Astrology | year=1999 | publisher=लोट्स प्रेस |location=Wisconsin|isbn=0-914955-83-7|page=23|url=http://books.google.co.in/books?id=-iAVEpTwwloC&lpg=PP1&pg=PA23#v=onepage&q&f=false|access-date=3 अक्तूबर 2012|archive-url=https://web.archive.org/web/20121105135053/http://books.google.co.in/books?id=-iAVEpTwwloC&lpg=PP1&pg=PA23#v=onepage&q&f=false|archive-date=5 नवंबर 2012|url-status=live}}</ref> आकाशमंडल में आर्द्रा नक्षत्र छटा है। यह राहू का नक्षत्र है व मिथुन राशि में आता है। आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहू है व इसकी दशा 18 वर्ष की होती हैं, लेकिन मिथनु राशि पर 5 माह 12 दिन से 18 वर्ष तक चंद्र की स्थितिनुसार दशा जन्म के समय भोगना पड़ती है।
 
इसके बाद ही ज्ञान के कारक गुरु की दशा लगती है, जो पूरे 16 वर्ष भोगना पड़ती है। किसी भी जातक का जन्म जिस नक्षत्र में होता है। उस नक्षत्र के स्वामी का प्रभाव उसके जीवन पर अवश्य देखा जाता है। आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर जन्में जातक को राहू व बुध का जीवन