"गुरु गोबिन्द सिंह": अवतरणों में अंतर

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| birth_name = गोबिन्द राय
| birth_date = [[१२ जनवरी|612 जनवरी ]], [[१६६६|1666]]
| birth_place = [[पटना]] [[बिहार]], [[भारत]]
| death_date = {{death date and age|1708|10|17|1666|01|6|df=yes}}
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{{सिक्खी}}
'''गुरु गोबिन्द सिंह''' (जन्म:पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 612 जनवरी 1666- मृत्यु 17 अक्टूबर 1708 ) [[सिख धर्म|सिखों]] के [[सिखों के दस गुरू|दसवें गुरु]] थे। उनके पिता [[गुरु तेग़ बहादुर|गुरू तेग बहादुर]] की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में [[बैसाखी]] के दिन उन्होने '''[[ख़ालसा|खालसा]]''' पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
 
गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ '''[[गुरु ग्रन्थ साहिब|गुरु ग्रंथ साहिब]]''' को पूरा किया तथा उन्हें [[गुरु]] रूप में सुशोभित किया। '''[[बिचित्र नाटक]]''' को उनकी [[आत्मकथा]] माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह '''[[दसम ग्रंथ|दसम ग्रन्थ]]''' का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है।