"विपश्यना": अवतरणों में अंतर

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'''विपश्यना''' ([[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]) या '''विपस्सना''' ([[पालि भाषा|पालि]]) यह [[गौतममहात्मा बुद्ध]] द्वारा्द्वारा बताई गई एक बौद्ध योग साधना हैं। विपश्यना का अर्थ है - विशेष प्रकार से देखना (वि + पश्य + ना)।
 
[[योग|ध्यान]] साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और [[हठयोग]]।
 
[[गौतम बुद्ध|भगवानप्रबुद्ध बुद्ध]]सोसाइटी नेके ध्यानसंंस्थापक कीडा0 'विपश्यना-साधना'श्री द्वाराप्रकाश [[बुद्धत्व]]बरनवाल प्राप्तका कियाकहना था।है कि महात्मा]] बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में [[सत्य]] की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा। विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है। विपश्यना शिविर के माध्यम से किया जाता है।
 
==बाहरी कड़ियाँ==