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== गरुड़ की माता को शाप ==
 
[[दक्ष प्रजापति]] की [[कद्रू]] और [[विनता]] नामक दो कन्याएँ थीं। उन दोनों का विवाह [[कश्यप]] ऋषि के साथ हुआ। [[कश्यप]] ऋषि से कद्रू ने एक हजार नाग पुत्र और विनता ने केवल दो तेजस्वी पुत्र वरदान के रूप में माँगे। वरदान के परिणामस्वरूप कद्रू ने एक हजार अंडे और विनता ने दो अंडे प्रसव किये। कद्रू के अंडों के फूटने पर उसे एक हजार नाग पुत्र मिल गये। किन्तु विनता के अंडे उस समय तक नहीं फूटे। उतावली होकर विनता ने एक अंडे को फोड़ डाला। उसमें से निकलने वाले बच्चे का ऊपरी अंग पूर्ण हो चुका था किन्तु नीचे के अंग नहीं बन पाये थे। उस बच्चे ने क्रोधित होकर अपनी माता को शाप दे दिया कि माता! तुमने कच्चे अंडे को तोड़ दिया है इसलिये तुझे पाँच सौ वर्षों तक अपनी सौत की दासी बनकर रहना होगा। ध्यान रहे दूसरे अंडे को अपने से फूटने देना। उस अंडे से एक अत्यन्त तेजस्वी बालक होगा और वही तुझे इस शाप से मुक्ति दिलायेगा। इतना कहकर अरुण नामक वह बालक आकाश में उड़ गया और [[सूर्य]] के रथ का सारथी बन गया
 
== विनता का दासी बनना ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गरुड़" से प्राप्त