"राव तुला राम": अवतरणों में अंतर

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{{Infobox royalty
|name= {{small|[[राजा]]}}<br> राव तुलाराम सिंह
| title = अहीरवाल नरेश<br>रेवाडी नरेश<br>'''खानदानीप्यार का नाम''' : '''[[राउराव रहमतुल्लाह खांतुला|रहमतुल्लाहतुला राम]]'''<br>'''रावउपाधि''' : '''[[राय बहादुर|फ़ारसी के राउ से बदला हुआ जिसका अर्थ तड़ीपार लुटेरा होता है ।राव बहादुर]]'''
|image =Rao Tula Ram Chowk.jpg
|caption=राव तुलाराम चौक, झज्जर
पंक्ति 10:
|birth_place= [[रामपुरा]], [[रेवाड़ी]], [[हरियाणा]]
|death_date= {{Death date and age |1863|9|23|1825|12|9|df=y}}
|death_place=[[अपने पैतृक शहर काबुल]], [[अफ़ग़ानिस्तान]]
|movement= [[1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]]
|movement= [[1857 में भारत को मुगलों का गुलाम बनाने के लिए मुगलों की तरफ से लड़ने भेजा गया लेकिन मैदान छोड़कर भागा]]
| predecessor = राव पूरन सिंह
| successor = * [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश इंडिया सरकार 1857-1877]]<br> * [[राव युधिष्ठिर सिंह]] 1877 के बाद
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| father = राव पूरन सिंह
| mother = रानी ज्ञान कुँवर
|religion= [[हिंदू]]
|religion= [[तुर्की इस्लामिक मलेच्छ]]
}}
'''राव तुलाराम सिंह''' (09 दिसम्बर 1825 -23 सितम्बर 1863) मुगलों[[1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के प्रमुख सिपाहियोंनेताओं में से एक थे।<ref>{{cite web |title=Republic Day Celebrations |url=http://www.tribuneindia.com/2008/20080128/haryana.htm#1 |language=en |date=28 जनवरी 2008 |publisher=द ट्रिब्यून |access-date=8 मई 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160214184226/http://www.tribuneindia.com/2008/20080128/haryana.htm#1 |archive-date=14 फ़रवरी 2016 |url-status=live }}</ref> उन्हे हरियाणा राज्य में "तैमूरी राउराज लुटेरेनायक" के नाम से जानामाना जाता है।<ref>{{cite web |title=Republic Day Celebrations |url=http://www.tribuneindia.com/2008/20080128/haryana.htm#1 |language=en |date=28 January 2008 |publisher=द ट्रिब्यून |access-date=8 मई 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160214184226/http://www.tribuneindia.com/2008/20080128/haryana.htm#1 |archive-date=14 फ़रवरी 2016 |url-status=live }}</ref> विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है।
 
मुगलोंअंग्रेजों कासे भारत को दोबारा गुलामAमुक्त कराने के उद्देश्य से एक युद्ध लड़ने के लिए मदद लेने के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की, रूस के ज़ार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएँ थीं। इसी मध्य 37 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में गुप्तरोगपेचिश से उनकी मृत्यु हो गई।<ref name="(India)1988">{{cite book|author=Haryana (India)|title=Haryana District Gazetteers: Mahendragarh|url=http://books.google.com/books?id=Y-1FAQAAIAAJ|accessdate=30 सितंबर 2012|year=1988|publisher=Haryana Gazetteers Organization|archive-url=https://web.archive.org/web/20140115093513/http://books.google.com/books?id=Y-1FAQAAIAAJ|archive-date=15 जनवरी 2014|url-status=live}}</ref>
 
==प्रारम्भिक जीवन==