"नरेश मेहता": अवतरणों में अंतर

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राजु राम
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नरेश मेहता [[दूसरा सप्तक]] के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। सन् २००० ई० में मेहता जी का निधन हो गया। नरेश मेहता को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए 1992 में [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया।
 
== भाषा शैली भाभरा ==
नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ [[खड़ीबोली]] है। शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उसमें ताजगी और नयापन है। उन्होंने सीधे, सरल बिम्बों का प्रयोग भी किया है। मेहता जी की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है। उनके काव्य में रूपक, मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है। नवीन उपमानो के साथ-साथ परंपरागत और नवीन छंदों का प्रयोग मेहता जी ने किया है।