"वास्तविक नियंत्रण": अवतरणों में अंतर

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{{See also|भारत-चीन युद्ध}}
{{See|1967 नाथू ला और चो ला संघर्ष}}
वास्तविक सीमा रेखा चीन एवम् भारत के मध्य स्थित कल्पनीय सीमा रेखा है, वास्तव में यह दोनों देशों की आपसी सहमति से घोषित सीमा क्षेत्र है ना कि अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त विधिक सीमा है। यह सीमा दोनों देशों के मध्य ऐसे क्षेत्र का निर्माण करती है जिसमें दोनों देशों में से किसी की सैन्य उपस्थिति नहीं है। समय समय पर निरीक्षण हेतु दोनों देशों के सेनाएं इस सीमा में पेट्रोलिंग करती हैं जो कभी कभी इस क्षेत्र में तनाव का कारण बन जाता है। सीमा रेखा के दोनों तरफ दोनों देशों की सेनाओं की चौकिया है जहां से इस क्षेत्र की निगरानी की जाती है।
 
भौगोलिक रूप से वास्तविक सीमा क्षेत्र तीन भागो में विभाजित है। उत्तर पश्चिम क्षेत्र जो भारतीय केंद्रशासित प्रदेश के लद्दाख और चीन द्वारा कब्जाए गए अक्साई चीन के मध्य स्थित है, मध्य क्षेत्र यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारत एवम् चीन के मध्य स्थित है ,तीसरा क्षेत्र पूर्वोत्तर में सिक्किम एवम् अरुनन्नचल प्रदेश के साथ लगता है इस सीमा क्षेत्र को मैकमोहन रेखा के नाम से भी जाना जाता है।
 
भौगोलिक रूप से वास्तविक सीमा क्षेत्र तीन4 भागो में विभाजित है। (a)उत्तर पश्चिम क्षेत्र जो भारतीय केंद्रशासित प्रदेश के लद्दाख और चीन द्वारा कब्जाए गए अक्साई चीन के मध्य स्थित है, (b)मध्य क्षेत्र यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारत एवम् चीन के मध्य स्थित है ,तीसरा(c) 3rd region Tibet-Nepal, (d) 4th क्षेत्र पूर्वोत्तर में सिक्किम एवम् अरुनन्नचल प्रदेश के साथ लगता है इस सीमा क्षेत्र को मैकमोहन रेखा के नाम से भी जाना जाता है।
चीन कई बार भारतीय क्षेत्र की चौंकियो पर आपना दावा पेश करता है और वहां अपनी सेना का नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास करता है जो दोनों सेनाओं के बीच सैन्य झडप का कारण बनता है हालांकि दोनों देशों के मध्य हुए समझौते के तहत इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग के समय हथियारों का प्रयोग करना वर्जित है जिससे लंबे समय से ये सीमा क्षेत्र गोलाबारी या हिंसक मुठभेड़ से बचा हुआ है।