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== जीवन परिचय ==
[[चित्र:Temple of Mirabai in the fort.jpg|thumbnail|मीराबाई का मंदिर, [[चित्तौड़गढ़]] (१९९०)]]
मीराबाई का जन्म सन 1498 ई. में [[मेड़ता]] (कुड़की) में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही [[कृष्ण]]भक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का [[विवाह]] मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। [[उदयपुर]] के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के [[राणा सांगा|महाराणा सांगा]] के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। मीरा के पति का अंतिम संस्कार चित्ततोड़ में मीरा की अनुपस्थिति में हुआ था।हुुुआ। पति की मृत्युम्रत्यू पर भी मीरा की माता ने अपना श्रंगार नही उतारा, क्योंकि वह गिरधर को अपना पति मानती थी।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/religion/dharam/meera-bai-jayanti-2019-important-things-about-meera-bai-life-01661669.html|title=मीराबाई के जीवन की खास बातें, सिर्फ कृष्ण नहीं, राम की भी भक्ति की|last=b_vinay|date=2019-10-10|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-06-27}}</ref>
 
पति की मृत्यु के उपरान्त वे विरक्त हो गई और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगी। पति के परलोकवास के बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहाँ मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थी। मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को [[विष]] देकर मारने की कोशिश की। घर वालों के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर वह [[द्वारका]] और [[वृन्दावन]] गई। वह जहाँ जाती थी, वहाँ लोगों का सम्मान मिलता था। लोग उन्हे देवी के जैसा प्यार और सम्मान देते थे। मीरा का समय बहुत बड़ी राजनैतिक उथल-पुथल का समय रहा है। बाबर का हिंदुस्तान पर हमला और प्रसिद्ध [[खानवा का युद्ध]] उसी समय हुआ था। इस सभी परिस्तिथियों के बीच मीरा का रहस्यवाद और भक्ति की निर्गुण मिश्रित सगुण पद्धत्ति सवर्मान्य बनी।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/religion/dharam/meera-bai-jayanti-2019-important-things-about-meera-bai-life-01661669.html|title=मीराबाई के जीवन की खास बातें, सिर्फ कृष्ण नहीं, राम की भी भक्ति की|last=b_vinay|date=2019-10-10|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-06-27}}</ref>
 
पति की मृत्यु के उपरान्त वे विरक्त हो गई और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगी। पति के परलोकवास के बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहाँ मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थी। मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को [[विष]] देकर मारने की कोशिश की। घर वालों के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर वह [[द्वारका]] और [[वृन्दावन]] गई। वह जहाँ जाती थी, वहाँ लोगों का सम्मान मिलता था। लोग उन्हे देवी के जैसा प्यार और सम्मान देते थे। मीरा का समय बहुत बड़ी राजनैतिक उथल-पुथल का समय रहा है। बाबर का हिंदुस्तान पर हमला और प्रसिद्ध [[खानवा का युद्ध]] उसी समय हुआ था। इस सभी परिस्तिथियों के बीच मीरा का रहस्यवाद और भक्ति की निर्गुण मिश्रित सगुण पद्धत्ति सवर्मान्य  बनी।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/religion/dharam/meera-bai-jayanti-2019-important-things-about-meera-bai-life-01661669.html|title=मीराबाई के जीवन की खास बातें, सिर्फ कृष्ण नहीं, राम की भी भक्ति की|last=b_vinay|date=2019-10-10|website=Dainik Bhaskar|language=hi|access-date=2020-06-27}}</ref>
== संघर्ष ==
मीराबाई की मृत्यु के उपरान्त उसका देवर राणा जी राजा बन गया था, उसने मीराबाई को कई बार मारने की कोशिश की। कभी जहरीले सांप से तो कभी भयंकर विष पिलाकर। जब मीरा बाई को जान से मारने के सारे प्रयास करके थक गया तो राणा समझ गया कि मीरा नहीं मरने वाली । इसकी रक्षा करने वाली कोई परम शक्ति है। भक्त पर कोई विपत्ति आती है तो भक्ति की लाज बचाने को [[कबीर]] परमात्मा ही मदद करते हैं। राणा ने फिर मीरा बाई को मंदिर में जाने से नहीं रोका।<ref>{{Cite web|url=https://news.jagatgururampalji.org/true-story-of-meera-bai/|title=मीरा बाई की अनसुनी सत्य कहानी - SA NEWS|date=2018-06-15|website=S A NEWS|language=en-US|access-date=2020-06-27}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/मीरा-बाई-1498-ईश्वी1550-ईश्वी-1444739743-2|title=मीरा बाई (1498 ईश्वी-1550 ईश्वी)|date=2015-10-13|website=Jagranjosh.com|access-date=2020-06-27}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://aajtak.intoday.in/story/sudhakar-adeeb-rang-rachi-will-launch-on-sunday-1-824687.html|title=मीराबाई के संघर्ष को बयां करती ‘रंग राची’ का होगा लोकार्पण|website=aajtak.intoday.in|language=hi|access-date=2020-06-27}}</ref>
 
== इन्हें भी देखें==
* [[भक्तिकाल के कवि]]
*'''मीराबाई के जीवन की महत्वपूर्ण बातें'''<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/religion/dharam/meera-bai-jayanti-2019-important-things-about-meera-bai-life-01661669.html|title=मीराबाई के जीवन की महत्वपूर्ण बातें|last=|first=|date=|website=भास्कर|archive-url=https://web.archive.org/web/20191016024019/https://www.bhaskar.com/religion/dharam/meera-bai-jayanti-2019-important-things-about-meera-bai-life-01661669.html|archive-date=16 अक्तूबर 2019|dead-url=|access-date=|url-status=live}}</ref>
* [[रविदास]]
 
== सन्दर्भ ==