"स्वदेशी": अवतरणों में अंतर
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जाहिर है स्वाधीनता आन्दोलन की सफलता के लिए यह आवश्यक था कि उसे सार्वदेशिक और अखिल भारतीय बनाया जाए क्योंकि सन् 1857 के प्रथम संघर्ष में हमें इसलिए असफल होना पड़ा क्योंकि वह अखिल देशीय नहीं हो सका था। उस प्रथम स्वाधीनता संग्राम को अखिल भारतीय नहीं बनाये जा सकने के अनेक कारणों में एक कारण राष्ट्रव्यापी भाषा का अभाव भी था। एक अखिल देशीय भाषा के अभाव में सम्पूर्ण देश को नहीं जोड़कर रखा जा सका और वह आन्दोलन मात्र हिन्दी प्रदेशों तक ही सीमित होकर रह गया था। अन्य प्रदेशों में छिटपुट घटनाएँ अवश्य घटित हुईं लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] असफल जरूर हुआ लेकिन यह सिखा गया कि अखिल भारतीय स्तर पर संगठित हुए बिना आजादी का स्वप्न देखना व्यर्थ है। इसलिए यह जरूरी समझा गया कि विभिन्न भाषा–भाषियों के बीच एक सम्पर्क भाषा ही राष्ट्रव्यापी भाषा हो ताकि योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो सके और सम्पूर्ण देश को जोड़कर रखा जा सके। अब प्रश्न यह था कि राष्ट्रव्यापी भाषा कौन हो सकती है? यद्यपि उस समय अखिल भारतीय स्तर पर [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], फारसी और अंग्रेजी जैसी भाषाएँ थीं लेकिन इनमें से कोई भी ऐसी नहीं थी जो जनता की भाषा बन सके। वैसे तो अंग्रेजी के माध्यम से उस समय सम्पर्क–कार्य चल रहा था लेकिन जब बात स्वदेशी, स्वाधीनता, स्वाभिमान और स्वभाषा की हो तब किसी विदेशी भाषा को सम्पर्क भाषा या राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाना उचित नहीं था। इसलिए देश की एक दर्जन से भी अधिक भाषाओं में से एक को राष्ट्रीय सन्देश की वाहिका या अन्तर प्रान्तीय व्यवहार के लिए चुनना था। सरलता, सहजता, स्वाभाविकता और बोलने वालों की संख्या के आधार पर हिन्दी को राष्ट्र भाषा और सम्पर्क भाषा के रूप में अपनाने की जोरदार वकालत की गई।
== सन्दर्भ हम भारतीयों को देश के उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए और देश मे निर्मित सामान को ही खरीद कर अपने देश को सशक्त बनाना चाहिए आप अपनी जेब से भी देश की सेवा कर सकते है इसके लिए आपको केवल भारतीय कम्पनी की पहचान करनी है और उन्ही का सामान लेना चाहिए ==
== केवल इतना सा प्रयास करके हम भारतीय लोकल को वोकल बना सकते है और अपने भारत को और अधिक महान बना सकते है ! ==
== जय हिन्द (भारत माता की जय ) ==
== आत्म निर्भर भारत ==
== स्वदेशी खरीदो ==
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