"उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण": अवतरणों में अंतर

नया पृष्ठ: == दामोदर पंडित का उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण (12 वीं शती का पूर्वार्द्ध) ...
 
No edit summary
पंक्ति 1:
उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण [[दामोदर पंडित]] द्वारा रचित हिंदी व्याकरण का एक ग्रंथ है। इसका रचना काल १२वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है। प्राचीनतम हिन्दी-व्याकरण सत्रहवीं शताब्दी का है, जबकि साहित्य का आदिकाल लगभग दशवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से माना जाता है । ऐसी स्थिति में हिन्दी भाषा के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से बारहवीं शती के प्रारम्भ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित द्विभाषिक ग्रंथ 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण'6 का विशेष महत्त्व है । यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है, जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं ।
 
उदाहरणस्वरूपः-
 
पुरानी कोशली संस्कृत
 
को ए ? कोऽयम् ?
== दामोदर पंडित का उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण (12 वीं शती का पूर्वार्द्ध) ==
काह ए ? किमिदम् ?
 
काह ए दुइ वस्तु ? के एते द्वे वस्तुनी ?
प्राचीनतम हिन्दी-व्याकरण सत्रहवीं शताब्दी का है, जबकि साहित्य का आदिकाल लगभग दशवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से माना जाता है । ऐसी स्थिति में हिन्दी भाषा के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से बारहवीं शती के प्रारम्भ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित द्विभाषिक ग्रंथ 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण'6 का विशेष महत्त्व है । यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है, जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं ।
काह ए सव ? कान्येतानि सर्वाणि ?
 
तेन्ह मांझं कवण ए ? तयोस्तेषां वा मध्ये कतमोऽयम् ?
उदाहरणस्वरूपः-
अरे जाणसि एन्ह मांझ कवण तोर भाई ? अहो जानास्येषां मध्ये कस्तव भ्राता ?
पुरानी कोशली संस्कृत
काह इंहां तूं करसि ? किमत्र त्वं करोषि ?
को ए ? कोऽयम् ?
काहपअउं ? पचामि किमिदम् ?
काह ए दुइ वस्तुकरिहसि ? के एते द्वेकिं वस्तुनीकरिष्यसि ?
पढिहउं । पठिष्यामि ।
काह ए सव ? कान्येतानि सर्वाणि ?
को ए सोअ ? क एष स्वपिति ?
तेन्ह मांझं कवण ए ? तयोस्तेषां वा मध्ये कतमोऽयम् ?
को ए सोअन्त आच्छ ? क एष स्वपन्नास्ते ?
अरे जाणसि एन्ह मांझ कवण तोर भाई ? अहो जानास्येषां मध्ये कस्तव भ्राता ?
अंधारी राति चोरु ढूक । अन्धकारितायां रात्रौ चौरो ढौकते ।
काह इंहां तूं करसि ? किमत्र त्वं करोषि ?
पअउं । पचामि ।
काह करिहसि ? किं करिष्यसि ?
पढिहउं । पठिष्यामि ।
को ए सोअ ? क एष स्वपिति ?
को ए सोअन्त आच्छ ? क एष स्वपन्नास्ते ?
अंधारी राति चोरु ढूक । अन्धकारितायां रात्रौ चौरो ढौकते ।