"हिन्दी व्याकरण का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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5. "हिन्दी-व्याकरण", भूमिका, पृ. 4-5.
 
6. पण्डित दामोदर विरचित "उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण", संपादक-आचार्य जिन विजय मुनि, ग्रन्थगत प्राचीन कोशली भाषास्वरूप विवेचनकर्ता- डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी, ग्रन्थान्तर्हित ऐतिहासिक-सामाजिक स्थिति स्वरूप निदर्शनकर्ता - डॉ. मोतीचन्द्र; सिंधी जैन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक 39, भारतीय विद्याभवन, मुम्बई, 1953.
 
7. वही, ग्रंथ संपादक का प्रस्ताविक वक्तव्य, पृ. 6.