"मेघनाद": अवतरणों में अंतर

मैने निवतकवाच राक्षस से मेगनाध के युद्ध का ब्योरा दिया
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मैने अतिमहराथ शब्द को हटाया । क्यूंकि इसका वर्णन पूरी रामायण में कहीं भी नहीं मिलता है।
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[[File:Victory of Meghanada by RRV.jpg|thumb|250px| '''इंद्रजीत की विजय''' (राजा रवि वर्मा द्वारा कृत) ]]
 
''मेघनाद''' अथवा इंद्रजीत [[रावण]] के पुत्र का नाम है। अपने पिता की तरह यह भी [[स्वर्ग लोक|स्वर्ग]] विजयी था। [[इन्द्र|इंद्र]] को परास्त करने के कारण ही [[ब्रह्मा]] जी ने इसका नाम इंद्रजीत रखा था। आदिकाल से अब तक यही एक मात्र ऐसा योद्धा है जिसे अतिमहारथी की उपाधि दी गई है। इसका नाम [[रामायण]] में इसलिए लिया जाता है क्योंकि इसने राम- रावण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसका नाम उन योद्धाओं में लिया जाता है जो की [[ब्रह्माण्ड अस्त्र]], वैष्णव अस्त्र तथा पाशुपात अस्त्र के धारक कहे जाते हैं। इसने अपने गुरु [[शुक्राचार्य]] के सान्निध्य में रहकर तथा त्रिदेवों द्वारा कई अस्त्र- शस्त्र एकत्र किए। स्वर्ग में देवताओं को हरा कर उनके अस्त्र-शस्त्र पर भी अधिकार कर लिया।
 
मेघनाद पितृभक्त पुत्र था। उसे यह पता चलने पर की राम स्वयं भगवान है फिर भी उसने पिता का साथ नही छोड़ा। मेघनाद की भी पितृभक्ति प्रभु राम के समान अतुलनीय है।