"उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण": अवतरणों में अंतर

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उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण [[दामोदर पंडित]] द्वारा रचित हिंदी व्याकरण का पहला ग्रंथ है। [[हिन्दी व्याकरण का इतिहास|हिन्दी व्याकरण के इतिहास]] में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसका रचना काल १२वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है।<ref>{{cite book |last=चटर्जी |first=डॉ. सुनीति कुमार |title=सिंधी जैन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक 39३९, 1953 (लेख का शीर्षक-पण्डित दामोदर विरचित "उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण" |year=जनवरी 2002२००२ |publisher=भारतीय विद्याभवन, |location=मुम्बई|id= |page= |accessday=10१० |accessmonth= जुलाई|accessyear=2009 २००९}}</ref> प्राचीनतम हिन्दी-व्याकरण सत्रहवीं शताब्दी का है, जबकि साहित्य का आदिकाल लगभग दशवीं-ग्यारहवीं शताब्दी से माना जाता है । ऐसी स्थिति में हिन्दी भाषा के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से बारहवीं शती के प्रारम्भ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित द्विभाषिक ग्रंथ 'उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण'6 का विशेष महत्त्व है । यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है, जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं ।
 
उदाहरणस्वरूपः-