"मेडलीन बिअरडाउ": अवतरणों में अंतर

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भारत के प्रति उत्सुकता के कारण बिअरडाउ ने 1950 के दशक में [[ट्रैवेंकोर विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लेकर संस्कृत पाठ और ग्रंथों की शिक्षा पंडितों से प्राप्त की। 1990 तक वे हर साल भारत आती रहीं। उन्होंने [[दकन कॉलेज (पुणे)]] और [[पुडुचेरी फ़्रेंच संस्थान]] के पंडितों के साथ नज़दीकी से काम किया। इसके अलावा बिअरडाउ अनेकों नगरों और गाँवों में पहुँचकर विभिन्न जातियों के लोगों से बात करके अनकी मान्यताओं और प्रथाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की। <ref name="roland_thehindu"/> इस दौरान उन्होंने फ़्राँस में उच्च शिक्षा के स्तर पर भारतविद्या को पढ़ाया।
 
उन्होंने [[पुरोणपुराण|पुरोणोंपुराणों]] के दर्शन और [[अद्वैत वेदान्त]] को विस्तृत रूप से पढ़ा। उन्होंने [[मदन मिश्र]], [[विकासपति मिश्र]] और [[भर्तृहरि]] के कार्यों का फ़्राँसीसी भाषा में अनुवाद किया। उनका पी एच डी शोध "ज्ञान की परिकल्पना और पारम्परिक ब्राह्मणवाद में भाषण का दर्शन" के शीर्षक पर आधारित था, जिसे 1964 में उन्होंने अपनी भाषा में पूरा किया।
 
==सन्दर्भ==