"वाणिज्य": अवतरणों में अंतर

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[[मुग़ल साम्राज्य|मुगल काल]] में भी भारत के गृह उद्योग उन्नत दशा में थे और एशिया, यूरोप और अफ्रीका के अनेक देशों में यहाँ से तैयार माल जाता था। संसार के कई देश तो केवल भारत के वस्त्रों पर ही निर्भर रहते थे। सूती, रेशमी तथा ऊनी वस्त्र तैयार करनेवाले भारतीय कारीगरों का कौशल संसार में दूर दूर तक फैल गया था। वस्त्रों के अतिरिक्त मोती, मूँगा, हाथीदाँत, मसाले, सुगांधित द्रव्य इत्यादि का भी खूब रोजगार होता था।
 
भारत से वाणिज्य द्वारा लाभ उठाने की इच्छा से ही यूरोपवासियों ने भारत में पदार्पण किया और उसके व्यापार पर कब्जा करने का प्रयत्न किया। अंग्रेजों ने धीरे धीरे संपूर्ण भारत पर अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमा लिया। इन अंग्रेजों के समय में भारत के गृह उद्योग धंधे नष्ट कर दिए गए और देशी जहाजी बेड़े का भी अंत हो गया। भारत के वाणिज्य पर अंग्रेजों का प्रभुत्व होने से भारतवासियों की आर्थिक दशा दयनीय हो गई। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत को संसार में एक बार फिर से वाणिज्य का प्रधान केंद्र बनाने के प्रयास किए जाने लगे।
 
== इन्हें भी देखें ==