"मत्स्य अवतार": अवतरणों में अंतर

कुछ वर्तनियाँ थीं
→‎कथा: जिस हयग्रीव का जिक्र है वह हयग्रीव भगवान विष्णु के अवतार से भिन्न है।
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जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है तब भगवान [[विष्णु]] अवतरित होते हैं।
[[File:Panjabi Manuscript 255 Wellcome L0025409 (cropped).jpg|thumb| धार्मिक पुस्तकों में चित्रित मत्स्यवतार]]
ब्रम्हांड की आवधिक विघटन के प्रलय के ठीक पहले जब प्रजापति [[ब्रह्मा]] के मुँह से वेदों का ज्ञान निकल गया, तब असुर [[हयग्रीव]] ने उस ज्ञान को चुराकर निगल लिया। तब भगवान विष्णु अपने प्राथमिक अवतार मत्स्य के रूप में अवतीर्ण हुए और स्वयं को राजा [[सत्यव्रत मनु]] के सामने एक छोटी, लाचार मछली बना लिया।
 
सुबह [[सत्यव्रत]] [[सूर्य देवता|सूर्यदेव]] को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो।