"अहिल्या स्थान": अवतरणों में अंतर
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डॉ राम प्रकाश शर्मा के अनुसार "इसमें कोई संदेह नहीं है कि अहिल्या-नगरी अथवा गौतम आश्रम मिथिला में ही था। भोजपुर में [[राम]] ने ताड़का -बध किया था। वहाँ सानुज [[राम]] ने ऋषि [[विश्वामित्र]] की यज्ञ की रक्षा उत्पाती राक्षसों का अपनी शक्ति से दमन कर की थी। [[मिथिला]] राज्य में प्रवेश कर पहले [[राम]] ने अहिल्या का उद्धार किया, और तत्पश्चात वहाँ से प्राग उत्तर दिशा (ईशान कोण) में चलकर वे ऋषि [[विश्वामित्र]] के साथ विदेह नागरी [[जनकपुर]] पहुंचे।<ref>[मिथिला का इतिहास, लेखक : डॉ राम प्रकाश शर्मा, प्रकाशक : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, पृष्ठ संख्या : 455]</ref>
[[चित्र:Ahalya rama.jpg|right|thumb| अहिल्या का उद्धार, चित्र : रवि वर्मा]]
[[रामायण]] में वर्णित कथा के अनुसार राम और [[लक्ष्मण]] ऋषि [[विश्वामित्र]] के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, "भगवन्! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषि या मुनि दिखाई नहीं देते?" विश्वामित्र जी ने बताया, यह स्थान कभी महर्षि गौतम का आश्रम था। वे अपनी पत्नी के साथ यहाँ रह कर तपस्या करते थे। एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम के बाहर गये हुये थे तो उनकी अनुपस्थिति में इन्द्र ने गौतम ऋषि के वेश में आकर [[अहिल्या]] से प्रणय याचना की।
== सन्दर्भ ==
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