"भारत के घोटालों की सूची (वर्ष के अनुसार)": अवतरणों में अंतर

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नोटबंदी मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला है। 8 नवम्बर को नोटबंदी से पहले उड़ीसा और बिहार में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नाम पर अरबों रुपये की जमीन खरीदी गयी और बीजेपी ने अपने कालेधन को ठिकाने लगा दिया
 
;जीप खरीदी (1948)
आजादी के बाद भारत सरकार ने एक [[लंदन]] की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।
वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई.
 
;साइकिल आयात (1951)
तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा,इसमें भी वसूली नहीं हुई।
 
;मुंध्रा मैस (1958)
हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा, लेकिन वसूली नहीं हुई.
 
;तेजा ऋण