"अवदान साहित्य": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 5:
== दिव्यावदान ==
{{मुख्य|दिव्यावदान}}
महायानी सिद्धांतों पर आश्रित कथानकों का रोचक वर्णन इस लोकप्रिय ग्रंथ का प्रधान उद्देश्य है। इसका 34वाँ प्रकरण "महायानसूत्र" के नाम से अभिहित किया गया है। यह उल्लेख ग्रंथ के मौलिक सिद्धांतों की दिशा प्रदर्शित करने में उपयोगी माना जा सकता है। दिव्यावदान, अवदानशतक के कथानक तथा काव्यशैली से विशेषतः प्रभावित हुआ है। इसकी आधी कथाएँ [[विनयपिटक]] से और बाकी [[सूत्रालंकार]] से संगृहीत की गई हैं। समग्र ग्रंथ का तो नहीं, परन्तु कतिपय कथाओं का अनुवाद चीनी भाषा में तृतीय शतक में किया गया था। [[शुंग वंश]] के राजा [[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] (178 ई.पू.) तक का उल्लेख यहाँ उपलब्ध होता है। फलतः इसके कतिपय अंशों का रचनाकाल द्वितीय शताब्दी मानना उचित होगा, परन्तु समग्र ग्रंथ का भी निर्माणकाल तृतीय शताब्दी के बाद नहीं है।
|