"आर्थिक दक्षता": अवतरणों में अंतर

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[[अर्थशास्त्र]] में '''आर्थिक दक्षता''' (economic efficiency) वह स्थिति होती है जिसमें कोई भी किया जाने वाला लाभदायक बदलाव अपने से भी अधिक हानि साथ लाता है। अर्थात उस स्थिति में सभी उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम प्रयोग किया जा रहा होता है और कोई भी बदलाव लाभ से अधिक हानि उत्पन्न करता है।<ref>Barr, N. (2004). Economics of the welfare state. New York, Oxford University Press (USA).</ref><ref>[https://assets.cambridge.org/97811070/36161/frontmatter/9781107036161_frontmatter.pdf Sickles, R., & Zelenyuk, V. (2019). Measurement of Productivity and Efficiency: Theory and Practice. Cambridge: Cambridge University Press. doi:10.1017/9781139565981 ]</ref>
 
== उदाहरण ==
किसी बज़ार में दो ही प्रकार के वस्त्र बिकते हैं - उत्तम और हीन।
* हीन वस्त्र ₹100 में बिकता है। एक हीन वस्त्र बनाने में 100 ग्राम ऊन और 200 ग्राम कपास लगता है।
* उत्तम वस्त्र ₹200 में बिकता है। एक उत्तम वस्त्र बनाने में 200 ग्राम ऊन और 100 ग्राम कपास लगता है।
* बाज़ार में ग्रहकों से दैनिक 10 उत्तम और 20 हीन वस्त्र की मांग हैं।
* व्यापारी दैनिक अधिक-से-अधिक 3000 ग्राम ऊन और 3000 ग्राम कपास खरीदकर वस्त्र बनाने में ही सक्षम हैं।
* ऊन और कपास खरीदने के दाम व्यापारियों के लिए एक ही हैं (यानि दोनों के दाम एक ही हैं)।
 
ऐसी स्थिति में व्यापारियों को 3000 ग्राम ऊन और 2000 ग्राम कपास खरीदकर 10 उत्तम और केवल 10 हीन वस्त्र ही बनाने चाहिए क्योंकि यही व्यापारियों के दृष्टिकोण से आर्थिक दक्षता है। इस से उनकी कुल दैनिक राजस्व ₹3000 होगा। इसमें कोई भी फेर बदल करने से उनका राजस्व घटेगा और यह आर्थिक रूप से अदक्ष (inefficient) है।
 
== इन्हें भी देखें ==