"अम्बाजी मंदिर, गुजरात": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
[[चित्र:Ambaji Temple at Night.jpg|left|border|150px|thumb|अम्बाजी मन्दिर का रात्रि दृश्य]]
अम्बाजी [[मन्दिर]] हिन्दुओं की ५१ शक्ति-पीठों में से एक है। देवी की ५१ शक्तिपीठों में से १२ प्रमुख शक्ति पीठ इस प्रकार से हैं:-
मां भगवती महाकाली मां शक्ति, उज्जैन, माँ कामाक्षी, [[कांचीपुरम]], माता ब्रह्मरंध्र, [[श्रीशैलम]] में, श्री कुमारिका, [[कन्याकुमारी]],[[महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर]], [[ललिता शक्तिपीठ|देवी ललिता]], [[प्रयाग]], विन्ध्यवासिनी देवी, [[विन्ध्याचल]], [[विशालाक्षी मंदिर, बनारस|विशालाक्षी]], [[वाराणसी]], मंगलावती, [[गया]] एवं मां सुंदरी, [[बंगाल]] में तथा गुह्येश्वरी [[नेपाल]] में। [[गब्बर पर्वत]] [[गुजरात]] एवं [[राजस्थान]] की सीमा पर स्थित है। यहां पर पवित्र गुप्त नदी [[सरस्वती]] का उद्गम अरासुर पहाड़ी पर प्राचीन पर्वतमाला [[अरावली]] के दक्षिण-पश्चिम में समुद्र सतह से {{convert|1600|ft|m}} की ऊंचाई पर {{convert|8.33|km2|sqmi|abbr=on}} क्षेत्रफ़ल में अम्बाजी शक्तिपीठ स्थित है। यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है जहां मां [[सती]] का हृदय गिरा था। इसका उल्लेख "[[तंत्र चूड़ामणि]]" में भी मिलता है। इस गब्बर पर्वत के शिखर पर देवी का एक छोटा मंदिर स्थित है जिसकी पश्चिमी छोर पर दीवार बनी है। यहां नीचे से ९९९ सीढ़ियों के जीने से पहाड़ी पर चढ़कर पहुंचा जा सकता है। माता श्री अरासुरी अम्बिका के निज [[मंदिर]] में श्री बीजयंत्र के सामने एक पवित्र ज्योति अटूट प्रज्ज्वलित रहती है।
 
इसके अलावा गब्बर पर्वत पर अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जैसे सनसेट प्वाइंट, गुफाएं, माताजी के झूले एवं रज्जुमार्ग का सास्ता। हाल की खोज से ज्ञात हुआ है कि अम्बाजी के इस मन्दिर का निर्माण वल्लभी शासक, सूर्यवंश सम्राट अरुण सेन ने [[चौथी शताब्दी]], ईसवी में करवाया था।