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भाई मणि सिंह काम्बोज
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* इस्लाम स्वीकारने से मना करने पर उनके हाथ काट कर उनकी हत्या कर दी गयी
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'''भाई मणी सिंह काम्बोज ''' (भाई मनी सिंघ ; 10 मार्च, 1644 -- 24 जून 1734) १८वीं शताब्दी के [[सिख धर्म|सिख]] विद्वान तथा शहीद थे। जब उन्होने इस्लाम स्वीकस्वीकार करने से मना कर दिया तो मुगल शासक ने उनके शरीर के सभी जोड़ों से काट-काट कर उनकी हत्या का आदेश दिया।
 
भाई मणि सिंह काम्बोज के बचपन का नाम 'मणि राम' था। उनका जन्म अलीपुर उत्तरी में एक [[काम्बोज ]] परिवार मे महरोक गोत्र में हुआ था जो सम्प्रति [[पाकिस्तान]] के मुजफ्फरगढ़ जिले में है। उनके पिता का नाम माई दास तथा माता का नाम मधरी बाई था। वे [[गुरु गोबिन्द सिंह]] के बचपन के साथी थे। १६९९ में जब गुरुजी ने [[ख़ालसा|खालसा पंथ]] की स्थापना की थी तब 'सिख' धर्म निभाने की प्रतिज्ञा ली थी। इसके तुरन्त बाद गुरुजी ने उन्हें [[अमृतसर]] जाकर [[हरिमन्दिर साहिब|हरमंदिर साहब]] की व्यवस्था देखने के लिये नियुक्त कर दिया।