"अलाउद्दीन खिलजी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 103:
=== जालौर ===
जालौर के शासक कान्हणदेव ने 1304 ई. में अलाउद्दीन की अधीनता को स्वीकार कर लिया था, पर धीरे-धीरे उसने अपने को पुनः स्वतन्त्र कर लिया। 1311 ई. में कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में सुल्तान की सेना ने कान्हणदेव को युद्ध में पराजित कर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार जालौर पर अधिकार के साथ ही अलाउद्दीन की राजस्थान विजय का कठिन व दुर्ग
कार्य पूरा हुआ। 1311 ई. तक उत्तर भारत में सिर्फ़ नेपाल, कश्मीर एवं असम ही ऐसे भाग बचे थे, जिन पर अलाउद्दीन अधिकार नहीं कर सका था। उत्तर भारत की विजय के बाद अलाउद्दीन ने दक्षिण भारत की ओर अपना रुख किया। कान्हड्देव प्रबन्ध के अनुसार कान्हड्देव के पुत्र वीरम देव का प्रेम अलाउद्दीन की पुत्री फिरोजा से था जो इस आक्रमण का मुख्य कारण था === दक्षिण विजय ===
|