"ॐ": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
ब्रह्मप्राप्ति के लिए निर्दिष्ट विभिन्न साधनों में प्रणवोपासना मुख्य है। [[मुण्डकोपनिषद्]] में लिखा है:▼
== ॐ का अर्थ ==
यह अक्षर ईश्वर का सर्वोत्तम नाम है | ईश्वर का यह मुख्य नाम है, क्योकि स्वयं ईश्वर ही [https://esmarthindi.com/vedas-in-hindi/ यजुर्वेद] के ४० वा अध्याय १७ वे मंत्र में कहते है की, “''ॐ ख़म ब्रम्ह ” | ''इसका अर्थ है , ” ॐ मेरा मुख्य नाम है
▲” ब्रह्मप्राप्ति के लिए निर्दिष्ट विभिन्न साधनों में प्रणवोपासना मुख्य है। [[मुण्डकोपनिषद्]] में लिखा है:
: ''प्रणवो धनु:शरोह्यात्मा ब्रह्मतल्लक्ष्यमुच्यते।
: ''अप्रमत्तेन वेद्धव्यं शरवत्तन्मयो भवेत् ॥
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गुरु नानक जी का शब्द '''एक ओंकार सतनाम''' बहुत प्रचलित तथा शत्प्रतिशत सत्य है। ''एक ओंकार ही सत्य नाम है।'' राम, कृष्ण सब फलदायी नाम ओंकार पर निहित हैं तथा ओंकार के कारण ही इनका महत्व है। बाँकी नामों को तो हमने बनाया है परंतु ओंकार ही है जो स्वयंभू है तथा हर शब्द इससे ही बना है। हर ध्वनि में ओउ्म शब्द होता है।<ref>[http://navbharattimes.indiatimes.com/-/---/articleshow/11365876.cms एक ओंकार सतनाम]</ref>
=== ॐ का व्याकरण महत्त्व :- ===
“ॐ ” यह एक अक्षर है इसलिए यह व्याकरण मुक्त है और सर्वोत्तम नाम है, क्योकि इसको अनेकवचन , स्त्रीलिंग , एवं नपुसकलिंग लागू नही होते | इसके अलावा अन्य ईश्वर के नामो को व्याकरण लागू होता है |
उदाहरण के लिए,
१. ईश्वर :– ईश्वरो (अनेकवचन ), ईश्वरी (स्त्रीलिंग ),२. भगवान :- भगवानो ( अनेकवचन ) , भगवती ( स्त्रीलिंग )
उक्त नाम ईश्वर के गौण नाम है| “ॐ ” यह नाम ईश्वर का अत्युत्तम और मुख्यनाम है क्योकि ईश्वर न स्त्री है, न पुरूष है, और न ही नपुंसक है |https://esmarthindi.com/om-meaning-in-hindi/
ॐ परब्रह्म का वाचक है ,क्योंकि ॐ से ही सृष्टि संचालन होता है, और ॐ की शक्ति की वजह से ही सृष्टि की रचना हुई है:-
कुछ लोग त्रिदेवो का वाचक ॐ को समझते हैं जो गलत है क्योंकि ॐ त्रिदेवों से भी ऊपर की सत्ता है जो त्रिदेवों और अन्य सांसारिक इंसान, पशु-पक्षियों, प्रकृति
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=== लाभ ===
पद्माशन में बैठ कर इसका जप करने से मन को शांति तथा एकाग्रता की प्राप्ति होती है, वैज्ञानिकों तथा ज्योतिषियों को कहना है कि ओउ्म तथा एकाक्षरी मंत्र<ref>ओउ्म, यं, रं, वं, सं, शं, षं, हं, फट् आदि जिसमें अं की मात्रा का उपयोग हो वह मंत्र एकाक्षरी मंत्र होता है।</ref> का पाठ करने में दाँत, नाक, जीभ सब का उपयोग होता है जिससे हार्मोनल स्राव कम होता है तथा ग्रंथि स्राव को कम करके यह शब्द कई बीमारियों से रक्षा तथा शरीर के सात चक्र (कुंडलिनी) को जागृत करता है।<ref>{{Cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A5%90-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A5%90-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1100707063_1.htm |title=ओंकार के लाभ |access-date=8 फ़रवरी 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140207014739/http://hindi.webdunia.com/%E0%A5%90-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A5%90-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1100707063_1.htm |archive-date=7 फ़रवरी 2014 |url-status=live }}</ref>
== ॐ ओमकार का उपदेश ==
ओमकारोपदेश सबंधित नचिकेतासे पूछा गया प्रश्न का जवाब यमराज ने उपनिषद् में दिए है
'''''” सर्वे वेदा यत्पदमामनन्ति तपांसि सर्वाणि च यद्वदन्ति।'''''
'''''यदिच्छंतो ब्रम्हचर्यम चरन्ति तत्ते पद संग्रहेण ब्रवीम्योमित्येतत || ”'''''
'''''(कठोपनिषद अध्याय १ : वल्ली २ : मंत्र १५ )''<ref>{{Cite web|url=https://esmarthindi.com/om-meaning-in-hindi/|title=om meanig in hindi|last=|first=|date=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>'''
अर्थ :- सारे वेद जिस पदका वर्णन करते है, समस्त तपोको जिसकी प्राप्ति के लिए साधक कहते है , जिसकी इच्छासे ज्ञानीजन ब्रम्हचर्य का पालन करते है, उस पदको मै तुमसे संक्षेपमे कहता हु | ” ॐ ” यही वह पद है|
'''” एतद्ध्येवाक्षरं ब्रम्ह एतद्ध्येवाक्षरं परम |'''
'''एतद्ध्येवाक्षरं ज्ञात्वा यो यदिच्छति तस्य तत || ” ''( कठोपनिषद अध्याय १ : वल्ली २ : मंत्र १६ )''''' '' ''
अर्थ :- यह अक्षर ही ब्रम्ह है, यह अक्षर ही पर है, इस अक्षर को ही जानकर जो जिसकी इच्छा करता है, वही उसका हो जाता है |
ईश्वर एक ही है, वह अतीत है, अपनी सोच उसका ग्रहण कर नहीं सकती | '''[https://esmarthindi.com/what-vedas-and-upanishad-says-about-god-%e0%a4%88%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8c%e0%a4%a8-%e0%a4%b9%e0%a5%88/ एक ईश्वर ही पूजा योग्य है]''' , उसके अलावा किसी अन्य की पूजा नहीं करनी चाहिए | इससे ही अमरत्व प्राप्त हो जाता है , इसके अलावा दूसरा मार्ग नहीं है |
ॐ शान्ति का प्रतिक है , इससे अध्यात्म ज्ञान में वृद्धि होती है।
== विवेचना ==
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