"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर

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{{cquote|''चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।kbi<br>'''सुबरन''' को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।''}}
 
यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त ''सुबरन'' शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ ''अच्छे शब्द'', व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ ''सुन्दर वर'', चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ ''सोना'' है।
 
;उदाहरण २