"हरिश्चंद्र घाट": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Cremation on the Ganges.jpg|250px|अंगूठाकार|हरिश्चंद्र घाट पर अंत्येष्टि]]
वाराणसी के सभी घाट बहुत ही मनोरम हैं। परन्तु कुछ घाटों का पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्व है उनमें से " हरिश्चंद्र घाट " भी उल्लेखनीय है। यह घाट मैसूर घाट एवं गंगा घाटों के मध्य में स्थित है। हरिश्चंद्र घाट पर <ref>{{Cite web |url=http://www.booking.com/landmark/in/harishchandra-ghat.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=14 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151222100122/http://www.booking.com/landmark/in/harishchandra-ghat.html |archive-date=22 दिसंबर 2015 |url-status=live }}</ref> हिन्दुओं के अंतिम संस्कार रात-दिन किए जाते हैं। हरिश्चंद्र घाट के समीप में काशी नरेश ने बहुत भव्य भवन " डोम राजा " के निवास हेतु दान किया थ।। यह परिवार स्वयं को पौराणिक काल में वर्णित "कालू डोम " का वंशज मानता है। हरिश्चंद्र घाट पर चिता के अंतिम संस्कार हेतु सभी सामान लकड़ी कफ़न धूप राल इत्यादि की समुचित व्यवस्था है। इस घाट पर राजा <ref>{{Cite web |url=http://www.varanasicity.com/harishchandra-ghat.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=14 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160305073124/http://www.varanasicity.com/harishchandra-ghat.html |archive-date=5 मार्च 2016 |url-status=live }}</ref> हरिश्चंद्र माता तारामती एवं रोहताश्व का बहुत पुरातन मंदिर है साथ में एक शिव मंदिर भी है। आधुनिकता के युग में यहाँ एक विद्युत शवदाह भी है,परन्तु इसका प्रयोग कम ही लोग करते हैं। बाबा कालू राम ऐवं बाबा किनाराम जी ने अघोर सिद्धी प्राप्ति के लिऐ यहीं शिव मंदिर पर निशा आराधना की थी। कहा जाता है बाबा किनाराम जी ने सर्वेश्वरी मंत्र की सिद्धी हरिश्चंद्र घाट पर प्राप्त की थी। वर्ष 2020 की होली से चिता भस्म होली की शुरूआत हुई जो इससे पहले केवल मणिकर्णिका घाट पर ही प्रचलित थी । ऐसी मान्यता है कि केदार क्षेत्र मेे स्थित होनेे के कारण यहाँ भैरव दंड यातना नहींनही मिलती है ।
 
==सन्दर्भ==