"गुरु तेग़ बहादुर": अवतरणों में अंतर

AAA
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
पंक्ति 1:
{{सिक्खी}}
'''गुरू तेग़ बहादुर''' (1 अप्रैल, 1621 – 11 नवम्बर, 167A5) [[सिख|सिखों]] के नवें [[गुरु]] थे जिन्होने प्रथम [[गुरु नानक]] द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके द्वारा रचित ११५ पद्य [[गुरु ग्रन्थ साहिब]] में सम्मिलित हैं। उन्होने [[काश्मीरी पण्डित|काश्मीरी पण्डितों]] तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक [[औरंगजेब]] ने उन्हे इस्लाम कबूल करने को कहा कि पर गुरु साहब ने कहा सीस कटा सकते है केश नहीं। फिर उसने गुरुजी का सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। [[गुरुद्वारा शीश गंज साहिब]] तथा [[गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब]] उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग़ बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है।
{| class="toccolours" style="float: right; margin-left: 1em; margin-right: 2em; font-size: 85%; background:#c6dbf7; color:black; width:40em; max-width: 50%;" cellspacing="5"
| style="text-align: left;" | "धरम हेत साका जिनि कीआ<br />सीस दीआ पर सिरड न दीआ।"