"मण्डन मिश्र": अवतरणों में अंतर
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मीमांसा और वेदांत दोनों दर्शनों पर इन्होंने मौलिक ग्रंथ लिखे। मीमांसानुक्रमाणिका, भावनाविवेक और विधिविवेक - ये तीन ग्रंथ मीमांसा पर; शब्द दर्शन पर स्फोटसिद्धि, प्रमाणाशास्त्र पर विवेक तथा अद्वैत वेदांत पर ब्रह्मसिद्धि - ये इनके ग्रंथ हैं। [[शालिकनाथ]] तथा जयंत भट्ट ने वेदांत का खंडन करते समय मंडन मिश्र का ही उल्लेख किया। शांकर भाष्य के सुप्रसिद्ध व्याख्याता, भामती के निर्माता [[वाचस्पति मिश्र]] ने मंडन की ब्रह्मसिद्धि को ध्यान में रखकर अपनी कृति लिखी।
मण्डन मिश्र व शंकराचार्य का शास्त्रार्थ स्थल , महिषीग्राम (पूर्व का माहिष्मतीग्राम),बिहार के सहरसा जिला में कोशी नदी के सुरम्य तट पर अवस्थित है ।
== मंडन और सुरेश्वर ==
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